कुछ साल पहले जब सफेद गेंद के क्रिकेट में कुलदीप यादव का खराब फॉर्म चल रहा था तो हर किसी ने उनसे यही कहा कि गेंद की रफ्तार कम है लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि उसे कैसे बढाना है। उन्हें 2020 में कोरोना काल के दौरान यूएई में हुए आईपीएल में घुटने में चोट भी लगी।
यह पूछने पर कि उन्होंने अपनी गेंदों में रफ्तार कैसे बढाई जिससे पिछले 18 महीने में वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज बने, कुलदीप ने कहा, ‘‘हर किसी ने मुझे कहा कि गेंद में रफ्तार की जरूरत है लेकिन किसी ने नहीं बताया कि वह कैसे किया जाये।”
आस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप के पहले मैच में डेविड वॉर्नर और ग्लेन मैक्सवेल के कीमती विकेट लेने वाले कुलदीप ने कहा कि उन्होंने खुद ही इसका हल निकाला लेकिन टीम फिजियो आशीष कौशिक की एक सलाह उपयोगी साबित हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं चोट से वापिस आ रहा था तो फिजियो आशीष कौशिक ने कहा कि दाहिने पैर पर कम वजन देना है। मैने अभ्यास में भी वही किया और मैच हालात में मुझे फर्क पता चला। यह रातोरात नहीं हुआ। लय दोबारा पाने में छह महीने लगे।”
यह पूछने पर कि चेपॉक की पिच क्या धीमे गेंदबाजों की मददगार थी, कुलदीप ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता लेकिन मुझे अपनी गेंदों में गति बढानी पड़ी। ग्लेन मैक्सवेल को समय नहनीं मिला और इसी तरह से स्मिथ को जडेजा ने आउट किया था। टर्न के साथ गेंद की गति भी अहम थी।” यह पूछने पर कि क्या टूर्नामेंट में आगे तीन स्पिनरों के लिये जगह होगी, उन्होंने कहा, ‘‘पूरे टूर्नामेंट के बारे में पता नहीं लेकिन हमने देखा है कि चेन्नई में तीन स्पिनरों को उतारा जा सकता है।’’