मोबाइल सेवाओं के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड के तहत 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि कई देश उसी रेंज में दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटित करने पर जोर दे रहे हैं।
वैश्विक दूरसंचार उद्योग निकाय ‘जीएसएमए’ ने यह बात कही है।केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे एक पत्र में जीएसएमए के महानिदेशक मैट्स ग्रैनरिड ने कहा कि 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम मध्य-आवृत्ति रेंज में बचा हुआ
रेडियोवेव्स का एकमात्र बड़ा ब्लॉक है और भारत को इसकी क्षमता से भी लाभ होगा।दूरसंचार उद्योग ने कहा कि इस आवृत्ति में नेटवर्क लाने की लागत उच्च आवृत्ति बैंड में उपलब्ध 5जी के लिए उपयुक्त स्पेक्ट्रम के अगले सेट की तुलना में कम होगी।
मैट्स ग्रैनरिड ने दो दिसंबर को लिखे पत्र में कहा, ‘‘भारत के तेजी से डिजिटल अपनाने और 5जी सहित डिजिटल क्षेत्र में नेतृत्व को देखते हुए इस अतिरिक्त क्षमता से भारत को भी काफी लाभ होगा। इस डिजिटल नेतृत्व के लिए भारत को अग्रणी 5जी देशों के स्पेक्ट्रम खाके से मेल खाने की आवश्यकता है, जिसमें 6 गीगाहर्ट्ज क्षमता से मदद मिलेगी।”
जीएसएमए ने पिछले महीने वैष्णव को लिखे एक अन्य पत्र में कहा था कि 6 गीगाहर्ट्ज बैंड मिड-बैंड स्पेक्ट्रम का एकमात्र बड़ा ब्लॉक है जो सस्ती 5जी सेवाएं प्रदान कर सकता है।वाईफाई सेवाएं प्रदान करने वाली कुछ कंपनियों ने वाईफाई सेवाओं के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाने की मांग की है।