केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि आने वाले दशकों में देश को आर्थिक वृद्धि की राह पर तेजी से बढ़ाने में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र (परिवहन सुविधा क्षेत्र) की भूमिका आधारभूत महत्व वाली है और यह हर व्यक्ति को प्रभावित करने वाल क्षेत्र है।
श्री गोयल यहां राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में लाजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार की दिशा में पहल और प्रगति पर वार्षिक रिपोर्ट लॉजिस्टिक्स ईज़ अक्रॉस डिफरेंट स्टेट (लीड्स) जारी कर रहे थे। लीड्स की की कल्पना 2018 में विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक की तर्ज पर की गई थी। मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार लीड्स 2023 रिपोर्ट, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर लॉजिस्टिक्स अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स सेवाएं और परिचालन और नियामकीय वातावरण – में सुधार की दिशा में सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह रिपोर्ट राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों को अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करने और बेहतर भविष्य में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है तथा यह इस क्षेत्र के बारे में क्रांतिकारी सुधारों के लिए अंतर्दिष्टि तथा मार्गदर्शन प्रदान करती है।
उन्होंने लाजिस्टिक्स में सुधार के महत्व को रखांकित करते हुए उन्होंने कहा,“भारत को अभी 3.5 लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था से 2047 तक 10 गुणा कर के 35 लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में गुना वृद्धि तक ले जाने के हमारे प्रयास में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र आधारशिला की भूमिका में होगा।”
श्री गोयल ने अपने मंत्रालय के अंतर्गत विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) सुमिता डावरा, डीपीआईआईटी, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नामित अध्यक्ष और एमडी आईटीसी सजीव पुरी और कंसल्टेंसी फर्म अर्न्स्ट एंड यंग के पार्टनर मिहिर शाह की उपस्थिति में यह रिपोर्ट जारी की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
श्री गोयल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में बुनियादी ढांचों के समन्वित विकास की पीएम गतिशक्ति वृहद योजना , लॉजिस्टिक्स के लिए ‘उद्योग’ का दर्जा, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स में डिजिटल पहल, सिटी लॉजिस्टिक्स योजनाएं, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क आदि जैसी सरकार की उल्लेखनीय पहलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत है।
इस अवसर पर औद्योगिक एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि डिजिटलीकरण का लाभ उठाने से लॉजिस्टिक्स लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। उन्होंने कारोबार सुगमता में सुधार, अनुपालन बोझ में कमी और विनियमन की लागत कम करने पर चल रहे काम पर प्रकाश डाला।इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए दिन भर का कार्यक्रम अयोजित किया गया। इसके विभिन्न सत्रों में केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस वर्ष मई-जुलाई के दौरान किए गए अखिल भारतीय प्राथमिक सर्वेक्षण पर आधारित इस बार की रिपोर्ट के अनुसार तटीय समूह के राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु ‘अचीवर्स’ (सफल), केरल, महाराष्ट्र ‘फास्ट मूवर्स’ (तेज प्रगति करने वाले) तथा गोवा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल ‘एस्पायरर्स’ (आकांक्षा रखने वाले राज्य हैं)।समुद्र से दूर के राज्यों के वर्ग में हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश ‘अचीवर्स’, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड ‘फास्ट मूवर्स’ तथा बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड ‘एस्पायरर्स’श्रेणी में हैं।
पूर्वाेत्तर समूह असम, सिक्किम, त्रिपुरा फास्ट को ‘अचीवर्स’ अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड ‘फास्ट मूवर्स’तथा मणिपुर, मेघालय, मिजोरम केंद्र ‘एस्पायरर्स’श्रेणी में हैं। केंद्र शासित प्रदेश श्रेणी में चंडीगढ़, दिल्ली ‘अचीवर्स’, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी ‘फास्ट मूवर्स’तथा दमन और दीव/दादरा और नगर हवेली, जम्मू -कश्मीर और लद्दाख (एस्पायरर्स) की श्रेणी में रखे गए हैं।