जी4 समूह के सदस्य देशों- ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत ने चेतावनी दी है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में जितना लंबा वक्त लगेगा, उतने ही इसके प्रभावों को लेकर सवाल खड़े होंगे। इन देशों ने अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) के मामलों में सार्थक संवाद के सतत अभाव पर चिंता भी जताई।
ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा, जर्मनी की संघीय विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और भारत के विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र से इतर बृहस्पतिवार को मुलाकात की और सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वार्ता की स्थिति पर चर्चा की।
उन्होंने सुरक्षा परिषद सुधार पर निर्णायक प्रगति और वास्तविक परिणामों के लिए 2024 में ‘समिट फॉर फ्यूचर’ (भविष्य के लिए सम्मेलन) और 2025 में संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ जैसी महत्वपूर्ण आगामी घटनाओं के महत्व को भी रेखांकित किया।
जी4 मंत्रियों के यहां जारी संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा गया, ‘‘मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय शासकीय ढांचों का भविष्य उनके अनुकूल तथा उद्देश्य के लिए यथोचित बने रहने की उनकी क्षमता पर निर्भर करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में जितना लंबा वक्त लगेगा, उतना ही इसका प्रभाव सवालों के घेरे में आएगा।’’
इसमें कहा गया है कि समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर प्रभावी तरीके से और समय पर ध्यान देने की सुरक्षा परिषद की अक्षमता उसके व्यापक सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है ताकि उसमें समकालीन भूराजनीतिक वास्तविकताएं बेहतर तरीके से झलकें।
वक्तव्य के अनुसार, ‘‘जी4 देशों के मंत्रियों ने यूएनजीए के आगामी 78वें सत्र में इस मुद्दे पर ध्यान देने की प्रतिबद्धता जताई और निश्चित समय-सीमा में ठोस परिणाम हासिल करने के उद्देश्य से सभी सदस्य देशों के साथ संवाद बढ़ाने पर सहमति जताई।’’ जी4 देशों के मंत्रियों ने कहा कि सुरक्षा परिषद को और अधिक सहभागितापूर्ण और वैध बनाने के लिए उसकी सदस्यता की स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार जरूरी है।