गर्भपात होना किसी भी महिला के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन होता है। गर्भपात के बाद महिलाओं को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक है रक्तस्राव।गर्भपात के बाद रक्तस्राव एक सप्ताह से लेकर लगभग 15 दिनों तक रहता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन कुछ महिलाओं को इस दौरान भारी रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है। सर्जिकल गर्भपात की तुलना में मेडिकल गर्भपात में रक्तस्राव अधिक होता है। कुछ महिलाओं को रक्तस्राव के साथ-साथ रक्त के थक्कों का भी अनुभव होता है।गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग, पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग से ज्यादा हो सकती है। यह ब्लीडिंग, पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग से अलग होती है। गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग को रोका नहीं जा सकता लेकिन कुछ टिप्स हैं, जिनकी मदद से गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग को कम करने का प्रयास किया जा सकता है। इन टिप्स को आगे विस्तार से जानेंगे।
गर्भपात के बाद हैवी ब्लीडिंग कम करने के टिप्स-
- गर्भपात के बाद हैवी ब्लीडिंग हो सकती है, ऐसे में आपको लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। इससे शरीर की रिकवरी जल्दी होगी।
- ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें। इससे शरीर डिहाइड्रेशन से बचेगा और शरीर की रिकवरी जल्दी होगी।
- गर्भपात के बाद हैवी ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा भारी चीजों को उठाने से बचें।
- गर्भपात के बाद डॉक्टर की सलाह पर बताई गई दवाओं को समय पर खाएं, इससे लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।
- हैवी ब्लीडिंग में पैड्स का इस्तेमाल करें। कई महिलाएं ब्लीडिंग में टैम्पॉन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इससे इंफेक्शन बढ़ सकता है।
- हैवी ब्लीडिंग होने पर एल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें। इससे रिकवरी स्लो हो जाती है।
- ब्लीडिंग को ट्रैक करने के लिए एक नोट बनाएं और हर दिन की गतिविध उसमें दर्ज करें। इस तरह आप लक्षणों को बेहतर समझ सकती हैं।
- समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाएं और असामान्य लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर से कब मिलें?-
- 15 दिनों से ज्यादा ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- चक्कर या अधिक कमजोरी आने पर सलाह लें।
- ज्यादा ब्लड क्लॉट्स होना या रुक-रुककर ब्लीडिंग होना।
- ब्लीडिंग के साथ दस्त, उल्टी या बुखार की स्थिति।
- पेल्विक क्षेत्र में अधिक दर्द महसूस होना।
- गर्भपात के 4 से 8 हफ्ते बाद भी पीरियड्स शुरू न होना।
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