दिल्ली पुलिस ने हीरो मोटोकॉर्प के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पवन मुंजाल और अन्य के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और पांच करोड़ रुपये से अधिक के झूठे बिल बनाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि, यह मामला मुंजाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच से संबंधित नहीं है।
प्राथमिकी के अनुसार, शिकायतकर्ता, ब्रेन्स लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप दर्शन पांडे ने हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड (एचएमसीएल) को आरोपी नंबर 1, मुंजाल को आरोपी नंबर 2, विक्रम सीताराम को आरोपी नंबर 3, हरि पकाश गुप्ता को आरोपी नंबर 4 और डेलॉइट हैस्किन्स एंड सेल्स लिमिटेड में पार्टनर मंजुला बनर्जी को आरोपी नंबर 5 बनाया है। सीताराम और गुप्ता दोनों हीरो मोटोकॉर्प में अधिकारी हैं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आरोपी नंबर 1, 2, 3 और 4 प्रतिष्ठान में पदाधिकारी और प्रमुख नियोक्ता हैं, जबकि आरोपी नंबर 5 वर्ष 2009 और 2010 में कंपनी की मान्यता प्राप्त ऑडिटर थीं और इस प्रकार यहां सभी आरोपियों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर जालसाजी, धोखाधड़ी और हीरो मोटोकॉर्प के खातों की किताबों में हेराफेरी करने के अवैध कार्य किए हैं।
प्राथमिकी में कहा गया है, सभी अपने आपराधिक कृत्यों और चूक के लिए संयुक्त रूप से और अलग-अलग उत्तरदायी हैं। शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की शुरुआत में यह है कि आरोपी कंपनी नंबर 1 ने आरोपी नंबर 2 और 3 के साथ मिलकर वर्ष 2009 और 2010 के कुल 5,94,52,525 रुपये के फर्जी महीनेवार बिल बनाए, जिसमें कहा गया था कि महीनेवार बिलों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और उन पर ‘हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेडÓ की मोहर लगी है।
उन्होंने शिकायतकर्ता कंपनी के खिलाफ अपने खातों में कुल 5,94,52,525 रुपये का गलत डेबिट बैलेंस बनाया है और फर्जी बिलों के खिलाफ 55,51,777 रुपये का गलत सीईएनवीएटी (सेवा कर) क्रेडिट प्राप्त किया है और आयकर विभाग को धोखा दिया।
आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ता कंपनी ने 2009 और 2010 में कभी ये बिल जमा नहीं किये थे क्योंकि कंपनी रजिस्ट्रार, नई दिल्ली द्वारा जारी निगमन प्रमाण पत्र के अनुसार, ‘हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड 27 जुलाई 2011 को अस्तित्व में आया था।
प्राथमिकी में यह भी बताया गया है कि शिकायतकर्ता ब्रेन्स लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस लिमिटेड का अकेला मालिक है। वह ब्रेन्स लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड में प्रवर्तक भी है जिसके साथ एचएमसीएल ने मैनपावर और संबंधित सेवाओं के लिए करार किया था।
शिकायतकर्ता कंपनी ने आरोप लगाया है कि उसने जालसाजी और धोखाधड़ी के उपरोक्त कृत्यों की जानकारी आरोपी नंबर 5 (मैसर्स फर्ग्यूसन में तत्कालीन ऑडिटर) को दी थी, जिसने 16 अक्टूबर 2019 को जवाब में कहा था कि उसने वर्ष 2009 और 2010 के आरोपी के बही-खातों का ऑडिट किया है।
हालांकि उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि बही-खातों में क्या मिला है। एकपुलिस अधिकारी ने बताया कि थाने में आईपीसी की धारा 463, 467, 468, 471, 34, 477ए, 120बी और 406 के तहत मामला दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है।