इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार द्वारा पारित विवादित कानून को खारिज कर दिया है। इस कानून से कोर्ट की शक्तियां कम कर दी गयी थी और कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुआ था।2023 में नेतन्याहू सरकार द्वारा पारित कानून को पलटने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला महीनों की उथल-पुथल के बाद आया है। जुलाई 2023 में, सरकार ने कानून पारित किया था जिसे आलोचकों ने देश की न्यायिक प्रणाली कमजोर करने वाला बताया था।
नए कानून ने इज़राइल में अनुचित माने जाने वाले सरकारी फैसलों को रद्द करने की सर्वोच्च न्यायालय और निचली अदालतों की शक्ति को हटा दिया था।बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस कानून का जम कर विरोध प्रदर्शन हुआ, हजारों प्रदर्शनकारी इसे रद्द करने और पीएम नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए थे।यहाँ तक कि वायु सेना के पायलटों सहित सैकड़ों सैनिकों ने इस्तीफ़ा देने की धमकी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के बयान में कहा गया है कि 15 में से 8 जजों ने कानून के खिलाफ फैसला सुनाया और कहा कि इससे “एक लोकतांत्रिक देश के रूप में इज़राइल की बुनियादी विशेषताओं को गंभीर और अभूतपूर्व नुकसान होगा”।इज़राइल के न्याय मंत्री यारिव लेविन ने “सभी शक्तियों को अपने हाथों में लेने” के लिए न्यायाधीशों की आलोचना की और इसे खत्म करने के उनके फैसले को अलोकतांत्रिक बताया।
नेतन्याहू ने तर्क दिया कि न्यायाधीशों और राजनेताओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बदलाव आवश्यक हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनकी सरकार में विश्वास कम होने का खतरा है।नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने कहा कि यह निर्णय “विशेष रूप से युद्ध के दौरान लोगों की एकता की इच्छा” के खिलाफ है।