लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं में डायबिटीज भी शामिल है। दुनिया भर में लाखों लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन अगर अपनी जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव किए जाएं तो इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। यह बीमारी जितनी तेजी से लोगों की सेहत पर असर कर रही है, उतनी ही तेजी से लोग इससे जुड़ी सुनी-सुनाई बातों पर यकीन करने लगते हैं। बचपन से हमने डायबिटीज से जुड़ी कई बातें सुनी होती हैं। जैसे कि डायबिटीज की समस्या जेनेटिक होती है या डायबिटीज में कुछ भी मीठा नहीं खाना चाहिए। इसी तरह कई लोगों का मानना होता है कि अगर आप ज्यादा मीठा खाते हैं, तो इससे भी आपको डायबिटीज हो सकती है। लेकिन क्या ऐसा सच में होता है? क्या डायबिटीज से जुड़ी यह बात सही है या महज एक मिथक है? आइये लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।
क्या मीठा खाने से सच में डायबिटीज हो सकती है?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक मीठा खाने से डायबिटीज होना केवल एक मिथक है। डायबिटीज होना हमारे इंसुलिन लेवल पर निर्भर करता है। जब हमारा शरीर इंसुलिन ठीक से बना नहीं पाता है, तो ऐसे में व्यक्ति को डायबिटीज होने का खतरा रहता है। दरअसल, जब बॉडी में इंसुलिन नहीं बनता है, तो इससे ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ने लगता है। ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने से ब्लड शुगर भी बढ़ने लगती है। अगर लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं आता, तो इससे व्यक्ति को डायबिटीज हो जाती है।
डायबिटीज होने के क्या कारण हो सकते हैं-
ग्लूकोज का प्रोडक्शन बढ़ना
जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होती है, उनका लिवर जरूरत से ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज बनाने लगता है। यह खराब लाइफस्टाल, खान-पान, खाने में चीनी की अधिक मात्रा या मोटापे के कारण भी हो सकता है। इन सभी वजहों से शरीर में ग्लूकोज का उत्पादन लगातार बढ़ता रहता है।
शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस होना
इंसुलिन हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है। यह हार्मोन हमारे ब्लड फ्लो के जरिये ग्लूकोज को पूरे शरीर में पहुंचाने में मदद करता है। साथ ही, यहां इसका इस्तेमाल एनर्जी के लिए किया जाता है। अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज है, तो आपका शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी होने लगता है। ऐसे में शरीर हार्मोन को ठीक से नहीं बना पाता है। इसके कारण पैंक्रियाज पर इंसुलिन ज्यादा प्रड्यूज होने का प्रेशर रहता है।
पैंक्रियाज में बीटा सेल्स का नुकसान होना
इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने के साथ यह आपके पैंक्रियाज में कोशिकाओं को नुकसान करने लगता है। इसके कारण हमारे पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। ऐसे में जब पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है या हमारा शरीर इसे ठीक प्रकार से उपयोग नहीं कर पाता है, तो ग्लूकोज ब्लड में बनने लगता। साथ ही, इससे डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ने लगता है।
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