भारत सरकार ने शुक्रवार को इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि उसने कनाडा से राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहकर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है।कनाडा को भारत से राजनयिकों को वापस बुलाने के लिये कहने का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि दोनों देशों में तैनात राजनयिकों की संख्या लगभग समान हो।
दूसरी ओर, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि 41 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट (इम्युनिटी) को रद्द करने का भारत का फैसला वियना संधि का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से सभी देशों को चिंतित होना चाहिए।कनाडा ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उसने अपने 62 राजनयिक में से 41 राजनयिकों को उनकी राजनयिक छूट वापस लिये जाने की भारत की धमकी के बाद वापस बुला लिया है।
भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश से वापसी को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में ”पेश” करने की कनाडा की कोशिशों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो-तरफा राजनयिक समानता सुनिश्चित करना राजनयिक संबंधों को लेकर हुई वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है।
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत से राजनयिकों की वापसी की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने नई दिल्ली की कार्रवाई को ”अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत” और राजनयिक संबंधों पर वियना संधि का उल्लंघन बताया था।विदेश मंत्रालय ने कहा, ”हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं।”
इस साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के ट्रूडो के आरोप के बाद दोनों पक्षों के बीच राजनयिक तनाव पैदा गया था और पिछले महीने भारत ने कनाडा से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा था। भारत ने साथ ही कनाडा के आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया था।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ”हमने भारत में कनाडाई राजनयिकों की उपस्थिति के संबंध में 19 अक्टूबर को कनाडा सरकार द्वारा दिया गया बयान देखा है।”मंत्रालय ने कहा, ”हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप नई दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता को वांछित बनाता है।”
विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने के तौर-तरीकों पर पिछले महीने कनाडाई पक्ष के साथ विस्तृत चर्चा की थी। मंत्रालय ने कहा, ”राजनयिक उपस्थिति में समानता को लागू करने का हमारा कदम वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के तहत पूरी तरह से सुसंगत है।”
ट्रूडो ने ओंटारियो के ब्राम्पटन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत सरकार, भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखना ”अविश्वसनीय रूप से कठिन” बना रही है।
उन्होंने कहा, ”और, वे कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करके ऐसा कर रहे हैं।”ट्रूडो ने दावा किया कि भारत ने जो कार्रवाई की, वह अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है।उन्होंने कहा, ”यह वियना संधि और शासकीय कूटनीति का उल्लंघन है। वे अंतरराष्ट्रीय कानून और कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करना चुन रहे हैं।”
कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा, ”यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में दुनिया के सभी देशों को बहुत चिंतित होना चाहिए। यह कनाडाई धरती पर एक कनाडाई नागरिक की उस कथित हत्या से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के हमारे लगाए आरोपों से किनारा करना है, जिसमें भारत का हाथ हो सकता है।”अमेरिका ने भारत से राजनयिकों की वापसी को लेकर चिंता जताई है। उसने उम्मीद जताई कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 की वियना संधि के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेगा।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ”हम भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति को काफी कम करने की कनाडा से की गई मांग के जवाब में कनाडाई राजनयिकों के भारत से जाने संबंधी घटनाक्रम से चिंतित हैं।”मिलर ने कहा, ”मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा, ”हमने भारत सरकार से आग्रह किया था कि वह कनाडाई राजनयिकों की संख्या कम करने पर जोर नहीं दे और कनाडा की जारी जांच में सहयोग करे।”मिलर ने कहा, ”हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरा करता रहेगा, जिसमें कनाडा के राजनयिक मिशन में सेवारत मान्यता प्राप्त सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकार और राजनयिक छूट दिया जाना शामिल है।”