नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के करीब 11 साल बाद इस मामले में अदालत का फैसला लिया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में आज दो आरोपियों को पुणे की एक अदालत ने दोषी ठहराया है और तीन को बरी कर दिया गया है। नरेंद्र दाभोलकर ने महाराष्ट्र में अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाया था जिसकी वजह से उन्हें जाना जाता है। आपको बता दें की साल 2013 में नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी और इनकी हत्या के इस मामले को 2014 में इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने अपनी जांच को पूरा कर, आरोपियों के खिलाफ 2016 में आरोप पत्र को दायर किया था।
नरेंद्र दाभोलकर को महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था। इनका जन्म 1 नवंबर 1945 को हुआ था इन्होंने मिराज के सरकारी मेडिकल कॉलेज से अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। फिर वो राष्ट्रीय सेवा दल के संपर्क में आने के बाद उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित होने के कारण उन्होंने समाज में प्रचलित अंधविश्वास का मुकाबला करने राष्ट्रीय सेवा दल से जुड़ गए।उन्होंने डॉक्टरी सेवा को छोड़कर अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाने का मन बना लिया था।
आपको बता दें की दाभोलकर ने 12 साल तक एक चिकित्सक के रूप में काम किया। उनका सामाजिक कार्यों के प्रति उनका रुझान बढ़ता ही जा रहा था उसके बाद उन्होंने डॉक्टरी पेशा पूरी तरह से छोड़ दिया। दाभोलकर पहले तो प्रोफेसर श्याम मानव अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ABANS में शामिल हुए। कुछ मतभेदों के कारण कुछ वर्षों के बाद दाभोलकर ने ABANS छोड़ दिया। इसके बाद दाभोलकर ने अपने ही द्वारा स्थापित संगठन अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र के जरिए अपनी गतिविधियों को यहां से जारी रखा
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में आज दो आरोपियों को सजा सुनाई गई है। कुछ अज्ञात लोगों ने 20 अगस्त 2013 को मोटरसाइकिल पर सवार दो हमलावरों ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी थी। ये दोनो ही जाने-माने हिस्ट्रीशीटर थे जो इस हत्या के मुख्य संदिग्ध के रूप में पकड़े गए थे। घटना के दिन ही इन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था हिस्ट्रीशीटर के पास से घटनास्थल पर चलाए गए हथियार और कारतूस बरामद हुए थे वो दाभोलकर के शरीर से मिली गोलियों से मेल खाते थे। दोनों संदिग्धों पर कभी औपचारिक रूप से हत्या का आरोप नहीं लगाया गया और फिर उन्हें जमानत दे दी गई थी। इस की जांच को बाद में सीबीआई के हाथ में सौंप दिया गया था।दाभोलकर की हत्या ने सभी को परेशान कर रख दिया था। उनके विचारों के खिलाफ किसी ने उनकी हत्या की। करीब तीन साल तक चली सुनवाई के बाद सत्र न्यायाधीश पीपी जाधव ने फैसला सुनाया। दाभोलकर की हत्या के मामले में आज दो आरोपियों को सजा सुनाई गई है और तीन को बरी कर दिया। आरोपी सचिन अंदुरे, शरद कालस्कर जोकि इस मामले के मुख्य आरोपी है इनको पांच लाख रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बचे तीन लोगो को डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर को बरी कर दिया गया है।
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