उच्चतम न्यायालय ने वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम दिए जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्पाडा तथा सात अन्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर अपना फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16 और 23 (5) को चुनौती देते हुए दावा किया है कि ये ”वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अन्य अधिवक्ताओं के दो वर्ग बनाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक व्यवहार में अकल्पनीय असमानताएं पैदा हुई हैं, जिस पर संसद ने निश्चित रूप से विचार नहीं किया या अनुमान नहीं लगाया।”
अधिवक्ता अधिनियम की धारा 16 वरिष्ठ और अन्य अधिवक्ताओं से संबंधित है, धारा 23 (5) वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अन्य वकीलों की तुलना में अधिकार से संबंधित हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करना, ”विशेष अधिकारों, विशेष दर्जा वाले अधिवक्ताओं का एक विशेष वर्ग बनाना, जो सामान्य अधिवक्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं हैं, असंवैधानिक है। यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के आदेश का उल्लंघन है।”