मिले रिपोर्ट के अनुसार इजरायल और अमेरिका को ईरान के हमले का डर सता रहा है, ऐसी आशंका है कि ईरान या उसके कठपुतली संगठन मध्य पूर्व में अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकते हैं.
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को पूरी आशंका है कि ईरान या ईरान के सहयोग और समर्थन में काम करने वाले संगठन इजरायल पर हमला करेंगे. इससे पहले खुफिया सूत्रों के हवाले से जानकारी आई थी कि हमला ईद पर या उससे पहले हो सकता है. लेकिन अब कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में ऐसा हो सकता है. यह भी कहा गया है कि यह जरूरी नहीं है कि हमला इजराइल के उत्तरी हिस्से यानी लेबनान से किया जाए, जहां से ईरान का प्रॉक्सी हिजबुल्लाह लगातार इजराइल पर हमला करता रहा है. हमला किसी और तरफ से भी हो सकता है.
हमले में सीधे लक्ष्य पर वार करने के लिए मिसाइलों का इस्तेमाल किया जा सकता है या एक साथ कई ड्रोन दागे जा सकते हैं. वहीं, अमेरिका को इस बात की भी चिंता है कि ईरान या उसके कठपुतली संगठन मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकते हैं.
1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के बाद ईरान ने साफ कहा था कि वह इजरायल को इसका करारा जवाब देगा, लेकिन ऐसा कब और कैसे करेगा, इसका फैसला वह खुद करेगा. दमिश्क हमले में तीन वरिष्ठ सैन्य कमांडरों सहित सात ईरानी नागरिक मारे गए।इनमें मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी, जो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के ग्राउंड और एयर फ़ोर्स के पूर्व कमांडर थे, की भी मृत्यु हो गई। वह सीरिया और लेबनान में ईरान के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। ज़ाहेदी की मौत ईरान के लिए बड़ी क्षति है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी ने कहा था कि इजरायल ने बड़ी गलती की है और उसे इसकी सजा मिलेगी. इसके जवाब में इजरायली विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि अगर ईरान इजरायली धरती पर हमला करेगा तो बदले में इजरायल भी ईरानी धरती पर हमला करेगा. इससे इजराइल-हमास युद्ध के मध्य पूर्व तक फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है.
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका भी काफी बढ़ गई है. वॉशिंगटन पोस्ट ने एक खुफिया अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब है. इसमें तेजी से समृद्ध यूरेनियम जमा हो रहा है, जिसका इस्तेमाल परमाणु बम में किया जा सकता है।
ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर शक और सवाल उठते रहे हैं. ईरान पहले साफ कर चुका है कि परमाणु बम बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में ईरान ऐसा कर सकता है, यह माना जा रहा है. उसके पास जो संवर्धित यूरेनियम है उसे वह परमाणु हथियार में प्रयुक्त होने वाले ईंधन में ढाल सकता है. ऐसा वह कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों के बीच कर सकता है और यह ईंधन तीन परमाणु बम बनाने के लिए काफी होगा. हालांकि एक क्रूड परमाणु बम बनाने में छह महीने तक का समय लग सकता है. और ऐसी मिसाइल बनाने में क़रीब दो साल तक का समय लग सकता है जो परमाणु हथियार वाले वारहेड के साथ हमला करने की क्षमता से लैस हो. कुल मिलाकर तुरंत ही ईरान परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है, ऐसी आशंका नहीं है, लेकिन डर्टी बम आदि का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
जाहिर है कि इजरायल ईरान को परमाणु बम बनाने की क्षमता तक पहुंचने से रोकने की कोशिश करेगा. इसलिए इजराइली टाइम्स द्वारा अरब न्यूज के हवाले से बनाई गई रिपोर्ट भी अहम है. इसके मुताबिक, इजराइल ने संकेत दिया है कि अगर ईरान ने इजराइल पर हमला किया तो इजराइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम गिरा देगा. लंदन के एलाफ़ न्यूज़ ने भी अज्ञात पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से ऐसी ही ख़बर प्रकाशित की है.
हालांकि खुफिया सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि शायद ईरान इजरायल पर सीधे हमले से बचेगा, क्योंकि इसके बाद इजरायल के साथ-साथ अमेरिका भी उस पर सीधा हमला करेगा, जो ईरान के लिए काफी घातक साबित हो सकता है. इसलिए, ईरान हमले में लेबनान के हिजबुल्लाह, या यमन के हौथी या गाजा के हमास या इराक और सीरिया के शिया मिलिशिया का उपयोग कर सकता है।
एक खुफिया आकलन यह भी कहता है कि इजरायल की जमीन पर सीधे हमले न कर दूसरे देशों में तैनात इजरायली राजनयिकों की हत्या की कोशिश भी की जा सकती है. वैसे ही जैसे कि 2012 में जब इजरायल ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को निशाना बना रहा था तब ईरान अज़रबैजान, थाईलैंड और जॉर्जिया जैसे देशों में इज़रायली राजनयिकों के पीछे पड़ गया था. हालांकि उन साजिशों को नाकाम कर दिया गया था.
इजराइल पूरी सतर्कता बरत रहा है. सभी इजरायली सैनिकों की छुट्टियां रद्द होने की खबर है. उसने तेल अवीव समेत अपने कई इलाकों में जीपीएस नेविगेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि मिसाइल किसी खास लक्ष्य को निशाना बनाने में सफल न हो सके. दूसरी ओर, जानकारी यह भी आई है कि अमेरिका ने हमले की स्थिति में इजराइल की मदद के लिए मध्य पूर्व के अपने शीर्ष सैन्य कमांडर को इजराइल भेजा है. ईरान के हमले की आशंका को देखते हुए पूरे इलाके में एक नए तरह का तनाव व्याप्त है.
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