पिछले पांच दिनों से दिल्ली में जमे झारखंड कांग्रेस के नाराज विधायकों को पार्टी नेतृत्व ने मना लिया है। ये विधायक चंपई सोरेन की कैबिनेट में शामिल किए गए कांग्रेस कोटे के चारों मंत्रियों को हटाने की मांग पर अड़े थे।मांग न माने जाने पर उन्होंने 23 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र के बहिष्कार की धमकी दी थी। नेतृत्व ने विधायकों से कहा है कि फिलहाल चारों मंत्री बने रहेंगे। उन्हें हटाने से मौजूदा सियासी परिस्थितियों में गलत संदेश जाएगा।
मंगलवार रात और बुधवार को दिन में पार्टी के संगठन महासचिव केसी. वेणुगोपाल से वन-टू-वन बातचीत के बाद अब विधायकों का रुख नरम है। विधायकों से कहा गया कि इस तरह से गोलबंद होकर मंत्रियों को हटाने की उनकी मांग एकबारगी नहीं मानी जा सकती। इससे सरकार की साख पर सीधा असर पड़ेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कांग्रेस कोटे के चारों मंत्री सभी विधायकों और कार्यकर्ताओं के सुझावों-शिकायतों पर तत्काल गौर करें। अगर इसमें कहीं कोताही हुई तो उन्हें रिप्लेस कर दिया जाएगा।
केसी. वेणुगोपाल के पहले पार्टी नेतृत्व ने मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार को नाराज विधायकों को समझाने का टास्क सौंपा था। उन्होंने विधायकों से दो से तीन बार बातचीत की थी और कहा था कि उनकी भावनाओं से पार्टी नेतृत्व अवगत है। सही समय पर ठोस निर्णय लिया जाएगा। विधायकों की राज्य के बोर्ड-निगमों में जल्द नियुक्ति होगी और इसमें उनकी सिफारिशों पर गौर किया जाएगा।
पार्टी नेतृत्व ने विधायकों को राज्य में गठबंधन की सरकार की मजबूती के लिए काम करने और लोकसभा चुनाव की तैयारी पर फोकस करने को कहा है।16 फरवरी को चंपई सोरेन कैबिनेट के विस्तार में कांग्रेस कोटे से उन्हीं चार विधायकों को मंत्री बनाया गया था, जो इसके पहले की हेमंत सरकार में मंत्री थे। इस बात पर कांग्रेस के कुल 12 विधायक नाराज हो गए थे। इनमें से नौ विधायक एक साथ दिल्ली के रिजॉर्ट में जमे हुए थे।