कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली CISF कॉन्स्टेबल की जाएगी जॉब या होगी जेल

बॉलीवुड अभिनेत्री और नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली CISF कांस्टेबल कुलविंदर कौर के खिलाफ पंजाब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. सीआईएसएफ ने खुद मोहाली पुलिस को कुलविंदर कौर के खिलाफ शिकायत दी. इसके बाद कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 341 में FIR दर्ज हुई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. दूसरी ओर, सीआईएसएफ खुद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी भी कर रहा है.इस घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि कुलविंदर कौर को क्या सजा मिल सकती है? क्या वह जेल जाएंगी? क्या उनकी नौकरी छिन जाएगी? कानून क्या कहता है. समझते हैं

शिमला से एक खबर सामने आ रही है. यहां बॉलीवुड अभिनेत्री और नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत ने हिमाचल पुलिस से सुरक्षा की मांग की है. कंगना ने थप्पड़ कांड के बाद हिमाचल पुलिस को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी है. बता दें कि अभी तक नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत को कोई सुरक्षा नहीं मिली है. क्योंकि सांसद पद की शपथ लेने के बाद ही सुरक्षा मुहैया करवाए जाने का प्रावधान है. जिसके तहत एक सांसद को दो पीएसओ सुरक्षा के लिए मुहैया होते हैं. गौरतलब है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ (CISF) की महिला जवान ने कंगना रनौत को थप्पड़ मारा था. यह घटना 6 जून की है. इसके बाद उन्होंने हिमाचल पुलिस से सुरक्षा की मांग उठाई गई थी. मंडी से सांसद कंगना ने प्रदेश पुलिस को पीएसओ उपलब्ध करवाने के लिए कहा है. फिलहाल कंगना रनौत दिल्ली में हैं और दिल्ली से वापस लौटने के बाद उन्हें पीएसओ उपलब्ध करवाया जाएगा. हालांकि, कंगना ने निजी सुरक्षा कर्मी भी रखा हुआ है.

पूरा मामला सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. इसमें आरोपी महिला ने बताया था कि उन्होंने कंगना को किसान आंदोलन के दौरान की गई एक टिप्पणी के मारा है. वह वीडियो कहती दिख रही थीं कि ‘इसने बोला था किसान आंदोलन में 100-100 रुपये में महिलाऐं बैठती थीं. वहां मेरी मां भी थी.’ इस घटना के बाद कंगना ने भी एक वीडियो जारी किया था. बाद में सीआईएसएफ महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.CISF कांस्टेबल कुलविंदर कौर के खिलाफ पंजाब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. सीआईएसएफ ने खुद मोहाली पुलिस को कुलविंदर कौर के खिलाफ शिकायत दी. इसके बाद कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 341 में FIR दर्ज हुई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. दूसरी ओर, सीआईएसएफ खुद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी भी कर रहा है.इस घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि कुलविंदर कौर को क्या सजा मिल सकती है? क्या वह जेल जाएंगी? क्या उनकी नौकरी छिन जाएगी? कानून क्या कहता है. समझते हैं

आईपीसी की धारा 323 में किसी को जानबूझकर चोट अथवा नुकसान पहुंचाने के लिए सजा का प्रावधान है. इस धारा में कहा गया है कि अगर किसी ने वॉलंटरी (जानबूझकर) किसी दूसरे व्यक्ति को चोट पहुंचाई है तो उसके खिलाफ 323 के तहत कार्रवाई हो सकती है. चोट से मतलब हल्की चोट (Minor Injury) से है. जैसे खरोंच, हल्के घाव, मामूली चोट आदि. धारा 323 के तहत अपराध साबित करने के लिए तीन फैक्टर होने चाहिए.

A- जानबूझकर चोट पहुंचाना: इसका मतलब यह है कि पीड़ित को जानबूझकर चोट पहुंचाई गई हो. चोट पहुंचाने के पीछे कोई उद्देश्य रहा हो.
B- शारीरिक नुकसान: पीड़ित व्यक्ति को चोट की वजह से शारीरिक नुकसान होना चाहिए. जैसे कट, खरोंच, या तरह का और कोई निशान.
C- अचानक उत्तेजना न हो: मतलब यह कि आरोपी ने अचानक उत्तेजना (Sudden Provocation) में ऐसा ना किया हो, बल्कि हमला पूरी तरह सोच-समझ कर और पूर्ण नियोजित तरीके से जानबूझकर किया हो.

अगर किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल तक की जेल हो सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है. अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी hindi.news18.com से कहते हैं कि यहां ध्यान रखने वाली बात है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे पर हथियार से हमला कर देता है तब वह गंभीर चोट के दायरे में आता है. 323 के साथ 308 और 302 भी लग सकती है. इस केस में सजा बढ़ जाती है.

आईपीसी की धारा 341 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे शख्स को कहीं जाने से जबरन अथवा गलत तरीके से रोकता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इस धारा में कहा गया है कि संबंधित व्यक्ति को साधारण कैद अथवा जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है. कैद या जेल 1 महीने की हो सकती है. विशेष केस में जेल की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है. ₹500 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

सेक्शन 323 और सेक्शन 341 दोनों जमानती अपराध  हैं. एडवोकेट आदर्श तिवारी कहते हैं कि इन दोनों धाराओं में मुकदमा होने पर आरोपी के जेल जाने की लगभग ना के बराबर संभावना होती है. बहुत आसानी से जमानत मिल जाती है. एक और जरूरी बात यह है कि अगर इन धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है तो आरोपी, पीड़ित पक्ष के साथ समझौता करके मामले को खत्म कर सकता है. इस तरह के मुकदमे किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुने जाते हैं.

बता दे की घटना के बाद सीआईएसएफ ने फौरन कांस्टेबल कुलविंदर कौर को सस्पेंड कर दिया है. उनके खिलाफ डिपार्मेंटल इंक्वारी शुरू कर दी है. खुद सीआईएसएफ के डीआईजी (एयरपोर्ट सिक्योरिटी) विनय काजला मामले की जांच कर रहे हैं. शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी कांस्टेबल का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत साफ-सुथरा रहा है. पहले इस तरह की किसी घटना में शामिल नहीं रही हैं.

सीआईएसफ को करीब से जाने वाले एक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के मामले में निलंबन के बाद जांच होती है. यदि आरोपी गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है तो बर्खास्तगी (टर्मिनेशन) की कार्रवाई की जा सकती है. हल्के अपराध में वार्निंग देकर भी छोड़ा जा सकता है. पूरी जांच में आरोपी का ट्रैक रिकार्ड बहुत मायने रखता है.

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