भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को किसी कंपनी के वैश्विक कारोबार के आधार पर जुर्माना लगाने का अधिकार देने से प्रतिस्पर्धा-रोधी तरीकों पर रोक लगेगी।विशेषज्ञों ने यह राय देते हुए कहा कि इससे कंपनियों को प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और तेजी से सुधारात्मक उपायों को लागू करने में मदद मिलेगी।
सीसीआई अब प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन के मामले में कंपनियों पर उनके वैश्विक कारोबार का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगा सकता है। सरकार ने इस बारे में संशोधित प्रतिस्पर्धा मानदंडों को अधिसूचित कर दिया है।अबतक, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग कंपनी के उस कारोबार खंड के कारोबार के आधार पर जुर्माना लगाता था जिसमें यह उल्लंघन हुआ है।
विधि फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास में भागीदार (प्रतिस्पर्धा कानून) अवंतिका कक्कड़ ने कहा कि वैश्विक कारोबार के आधार पर जुर्माने की गणना का मकसद प्रतिस्पर्धा कानून के अधिक गंभीर उल्लंघनों को रोकना है। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप है।जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के भागीदार और प्रतिस्पर्धा कानून के प्रमुख वैभव चौकसे ने कहा कि वैश्विक कारोबार के मुकाबले 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने की इजाजत देने वाला प्रावधान यूरोपीय संघ में लागू प्रावधान के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि अगर सीसीआई प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने का फैसला करता है, तो बड़ी तकनीकी कंपनियों और बहु-उत्पादों तथा बहु-सेवाओं वाली कंपनियों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान से प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।