दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि एडमिट कार्ड जारी करने के बाद सीबीएसई परीक्षा भवन में प्रवेश करने से नहीं रोक सकता है। जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने दसवीं के एक छात्रा को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का आदेश जारी करते हुए ये टिप्पणी की। इस मामले पर अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी।
कोर्ट ने सीबीएसई को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि ये सोच से परे है कि किसी छात्र या छात्रा को एडमिट कार्ड जारी करने के बाद उसे परीक्षा भवन में प्रवेश नहीं करने दिया जाए। ऐसा करना पूरे तरीके से अस्वीकार्य है, ऐसा करना अमानवीय भी है। सीबीएसई को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि छात्रा आगे सभी परीक्षाएं बिना किसी बाधा के देगी। कोर्ट ने कहा कि छात्रा को परीक्षा भवन के बाहर खड़ा करने की एवज में उसे अतिरिक्त समय दिया जाए ताकि वो बाकी छात्र-छात्राओं की तरह अपने पूरे समय परीक्षा दे सके।
दरअसल, एक छात्रा की ओर से उसकी मां ने याचिका दायर कर कहा था कि डोमिसाइल सर्टिफिकेट देर से अपलोड करने पर सीबीएसई ने परीक्षा भवन में प्रवेश करने से मना कर दिया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि अगर याचिकाकर्ता छात्रा के अलावा भी कोई छात्र या छात्रा है, जिसे डोमिसाइल सर्टिफिकेट देर से अपलोड करने की वजह से परीक्षा देने से रोका गया हो उसे भी परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता है और उसे भी अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
याचिकाकर्ता छात्रा ने 10वीं की परीक्षा का प्राइवेट फॉर्म भरा था। सीबीएसई ने 5 सितंबर 2023 को नोटिस जारी किया कि प्राइवेट छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरते समय डोमिसाइल सर्टिफिकेट भी अपलोड करना होगा जिसमें पता चले कि वो दिल्ली का निवासी है। कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई ने डोमिसाइल का प्रावधान पहली बार किया था, जिसकी जानकारी बहुत से छात्रों को नहीं थी। याचिकाकर्ता ने 3 अक्टूबर को परीक्षा फॉर्म अपलोड किया था और उसके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं था।
याचिकाकर्ता ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए दिसंबर 2023 में आवेदन दिया था जिसके बाद उसे 24 जनवरी को डोमिसाइल मिला। 24 जनवरी तक सीबीएसई की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो सकता था, लिहाजा उसने सीबीएसई के दफ्तर में जाकर 15 फरवरी को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जमा कराया।याचिकाकर्ता अपने एडमिट कार्ड के आधार पर 21 फरवरी को अपनी पहली परीक्षा देने गई लेकिन उसे परीक्षा भवन के बाहर रोक दिया गया। 21 फरवरी के बाद उसे परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।