केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए 8,500 करोड़ रुपये की एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
भारत में कोयला गैसीकरण की तकनीक अपनाने से प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया एवं अन्य जरूरी उत्पादों के लिए आयात पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए 8,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी है।सरकार वर्ष 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले का गैसीकरण करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
गैसीकरण की प्रक्रिया में कोयले को नियंत्रित परिस्थितियों में हवा, ऑक्सीजन, भाप या कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है। इससे एक तरल ईंधन पैदा होता है जिसे ‘सिनगैस’ कहा जाता है। सिनगैस यानी संश्लेषित गैस का इस्तेमाल बिजली उत्पादन और मेथनॉल बनाने के लिए भी किया जा सकता है।