दिल्ली में वोटिंग को अब बस दस दिन बचे हैं। BJP और कांग्रेस-आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में लगा दी है। BJP की ओर से विभिन्न राज्यों के बड़े नेता उसके प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं, तो आम आदमी पार्टी की ओर से अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है। वे इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं। दोनों पक्षों की तैयारी देखते हुए अभी से यह कहना मुश्किल है कि दिल्ली में ऊंट किस करवट बैठेगा?
लेकिन जिस तरह स्वाति मालीवाल की घटना घटी है, और BJP इस मामले को लेकर आक्रामक हुई है, माना जा रहा है कि BJP को मानो अचानक वह हथियार मिल गया है, जिसकी चुनाव के अंतिम दिनों में उसको इंतजार था। अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद जो BJP कुछ पिछड़ती दिख रही थी, अचानक वह आक्रामक हो उठी है। BJP स्वाति मालीवाल के मुद्दे को लेकर केजरीवाल पर हमलावर है और उससे लगातार सवाल पूछ रही है। दिल्ली BJP की टीम अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में लगातार प्रदर्शन कर केजरीवाल को घेरने की कोशिश कर रही है। हेमंत बिस्वा सरमा जैसे नेताओं ने भी स्वाति मालीवाल का मुद्दा उछालकर केजरीवाल को घेरने की कोशिश की है। अंतिम दिनों में भाजपा इस मुद्दे पर और आक्रामक रुख अपना सकती है। यानी यह तय है कि वह चुनाव के ठीक पहले इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करेगी। पर इससे उसे कितना लाभ मिलेगा?
शुरू में भाजपा बढ़त बनाती हुई दिख रही थी। उसने समय रहते न केवल अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, बल्कि प्रत्याशी तय होने से पहले से ही जमीनी तैयारी कर ली। इससे यही संदेश जा रहा था कि भाजपा इस बार भी दिल्ली में पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह क्लीन स्वीप करने जा रही है। आम आदमी पार्टी और गठबंधन की दूसरी महत्त्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की घोषणा में देरी, आप नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के जेल में बंद होने और कांग्रेस नेताओं की दूसरी व्यस्तताओं के बीच यही संकेत जा रहा था कि दिल्ली में इंडिया गठबंधन लगातार पिछड़ता जा रहा है।
लेकिन जैसे ही पहले संजय सिंह और बाद में अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आए, दिल्ली के चुनावों में गर्मी बढ़ती हुई दिखाई दी। आम आदमी पार्टी ने खतरनाक तरीके से न केवल अपना प्रचार शुरू किया, बल्कि केजरीवाल के तीखे बयानों ने इंडिया गठबंधन को लड़ाई में ला खड़ा कर दिया। केजरीवाल की गिरफ्तारी का इंडिया गठबंधन को लाभ मिलेगा, या शराब घोटाले में फंसने का नुकसान होगा, इस पर गुणा-गणित किया जा रहा है।
संजय सिंह और बाद में केजरीवाल की रिहाई ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की चुनावी तैयारियों में जान डालने का काम किया है। पार्टी लगातार एक के बाद एक अभियान शुरू कर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है। लेकिन जब से स्वाति मालीवाल का मुद्दा सामने आया है, पार्टी इस मुद्दे पर रक्षात्मक हो गई है। माना जा रहा है कि जिस तरह संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह स्वीकार कर लिया है कि स्वाति मालीवाल के साथ अभद्रता हुई है और अभद्रता के आरोपी बिभव कुमार के ऊपर कार्रवाई की जाएगी, यह उस दबाव का ही परिणाम है जो भाजपा ने अपने प्रदर्शनों के माध्यम से बनाया है।
BJP को बढ़त की उम्मीद क्यों?
दिल्ली की अपेक्षाकृत पढ़ी-लिखी और जागरूक आबादी के बीच महिलाओं का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील रहा है। महिलाओं के कई मुद्दों पर दिल्ली का रुख बहुत संवेदनशील रहा है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करते रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाओं की शुरुआत करके तो दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए बसों में फ्री पास देने की योजना शुरू कर उनका दिल जीतने की कोशिश की है। ऐसे में यदि एक बड़ी महिला नेता के साथ अभद्रता का मामला तूल पकड़ता है, तो आम आदमी पार्टी को इससे बहुत नुकसान हो सकता है। जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्वाति मालीवाल के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल से किनारा किया है, माना जा रहा है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ न देने की ही रणनीति अपनाएगी। ऐसे में दिल्ली में दोनों पार्टियों के बीच होने वाला सामूहिक चुनाव प्रचार की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
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