भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए 39 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची जारी करने के साथ कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख कमलनाथ ने दावा किया है कि सत्तारूढ़ दल ने मध्य प्रदेश में हार स्वीकार कर ली है और अपना ”झूठी उम्मीद का आखिरी दांव” खेला है।
सोमवार रात जारी की गई दूसरी सूची में भाजपा ने सात लोकसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है, जिनमें केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रह्लाद सिंह पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हैं। भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतारा है।भाजपा ने अब तक मप्र की कुल 230 सीटों में से 78 पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें अगस्त में जारी 39 नामों की पहली सूची भी शामिल है।राज्य में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। निर्वाचन आयोग ने अब तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।
सोमवार देर रात ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कमलनाथ ने दावा किया कि भाजपा ने मध्य प्रदेश में हार स्वीकार कर ली है और ”झूठी उम्मीद का आखिरी दांव” खेला है।कमलनाथ ने कहा, ”दूसरी सूची पर एक ही बात उपयुक्त बैठती है- ”नाम बड़े और दर्शन छोटे”। भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपने सांसदों को विधानसभा की टिकट देकर साबित कर दिया है कि पार्टी न तो 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत रही है, न 2024 के लोकसभा चुनाव में।”
उन्होंने कहा, ”इसका सीधा अर्थ ये हुआ कि वो (भाजपा) ये मान चुकी है कि एक पार्टी के रूप में तो वो इतना बदनाम हो चुकी है कि चुनाव नहीं जीत रही है, तो फिर क्यों न तथाकथित बड़े नामों पर ही दांव लगाकर देखा जाए। अपने को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कहनेवाली भाजपा को जब आज ये दिन देखने पड़ रहे हैं कि उसको लड़वाने के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं, तो फिर वोट देने वाले कहां से मिलेंगे।”
उन्होंने कहा कि भाजपा आत्मविश्वास की कमी के संकटकाल से जूझ रही है। अबकी बार भाजपा अपने सबसे बड़े गढ़ में, सबसे बड़ी हार देखेगी।कमलनाथ ने दावा किया कि कांग्रेस भाजपा से दोगुनी सीट जीतने जा रही है। भाजपा की डबल इंजन की सरकार डबल हार की ओर बढ़ रही है।तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ भाजपा ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए चार लोकसभा सदस्यों राकेश सिंह, रीति पाठक, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को भी मैदान में उतारा है।
2018 के चुनावों में कांग्रेस ने 114 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 109 सीटें मिलीं। इसके बाद कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई, लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार विधायकों के विद्रोह के बाद सरकार गिर गई, जिससे शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी का रास्ता साफ हो गया। विद्रोह के बाद विधायकों के पाला बदलने के कारण हुए उपचुनावों के बाद 230 सदस्यीय सदन में भाजपा के पास अब 126 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं।