बाबा रामदेव को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पब्लिकली मांगें माफी

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी को फिर खारिज कर दिया. उन्हें 23 अप्रैल को दोबारा कोर्ट में पेश होना होगा और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का भी निर्देश दिया गया है.भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) के खिलाफ दर्ज अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. बाबा रामदेव ने पहले 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर माफी मांगी थी और फिर 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा पेश किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव का माफीनामा खारिज कर दिया था. इस माफीनामे पर आज दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं.

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बाबा की माफी को फिर खारिज कर दिया. उन्हें 23 अप्रैल को दोबारा कोर्ट में पेश होना होगा और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के निर्देश भी दिए गए हैं.सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए उन्हें एक हफ्ते का वक्त दिया है.

याचिका पर आखिरी सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने की थी. पतंजलि की ओर से वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी पेश हुए. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी सुप्रीम कोर्ट आए. उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार की ओर से ध्रुव मेहता और वंशजा शुक्ला पेश हुए.

बता दे की 10 अप्रैल को हुई सुनवाई में बेंच ने बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी. पीठ ने कहा था कि बाबा रामदेव और पतंजलि ने जानबूझकर आदेश की अवहेलना की. इसलिए माफी स्वीकार नहीं, कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी फटकार लगाई थी.

केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया कि विभाग के ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग अधिकारी क्या कर रहे हैं? उनकी जिम्मेदारियाँ क्या हैं? अगर लापरवाही बरती जा रही है तो दोनों अधिकारियों को निलंबित क्यों नहीं किया गया? नियमों व आदेशों को हल्के में लिया जा रहा है। आपको बता दें कि बाबा रामदेव ने सबसे पहले 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर माफी मांगी थी और फिर 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा पेश किया था.

क्या है पतंजलि का भ्रामक विज्ञापन मामला?

बता दे की बाबा रामदेव और पतंजलि पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भ्रामक विज्ञापन दिखाने और जारी करने का आरोप लगाया है। 17 अगस्त 2022 को एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को पतंजलि को किसी भी उत्पाद का भ्रामक विज्ञापन नहीं देने का निर्देश दिया था. आदेशों के बावजूद विज्ञापन दिखाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को पतंजलि को फटकार लगाई.कहा गया कि पतंजलि और बाबा रामदेव भ्रामक विज्ञापन दिखाकर लोगों के साथ छलकपट कर रहे हैं.ऐसे कैसे कह सकते हैं कि पतंजलि की दवाइयां बीमारियों को 100 प्रतिशत ठीक कर सकती हैं? क्या इसका कोई ठोस सबूत है? सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई 19 मार्च और 2 अप्रैल को भी की थी.

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