पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल के तीन मंत्री रविवार को लोगों से उनकी शिकायतों के बारे में बात करने के लिए संदेशखालि पहुंचे। संदेशखालि में पिछले कुछ दिनों से विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है।भूमि विभाग ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़े कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर जमीन कब्जाने को लेकर ग्रामीणों की शिकायतें दर्ज करने के लिए शिविर भी खोला है।
मंत्री पार्थ भौमिक, सुजीत बोस और बीरबाहा हांसदा लोगों से उनकी शिकायतों के बारे में बात करने के लिए कालीनगर गांव पहुंचे थे।संदेशखालि से टीएमसी विधायक सुकुमार महता भी उनके साथ थे। बोस ने संवाददाताओं से कहा, ”हम यहां के लोगों और स्थानीय पार्टी नेतृत्व से बात करने आए हैं।”
उन्होंने कहा कि वे (तीनों मंत्री) उन स्थानों का दौरा कर रहे हैं, जहां दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के मंत्रियों सहित विपक्षी दल के नेताओं को प्रशासन ने संदेशखालि जाने से रोक दिया था। संदेशखालि में 19 स्थानों पर पांच या उससे अधिक लोगों के एकजुट होने पर निषेधाज्ञा लागू है।संदेशखालि के गांवों में फरवरी के पहले सप्ताह से महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन कब्जाने के आरोपों को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
बोस ने दावा किया कि संदेशखालि में कुछ स्थानों पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, जिसके अंतर्ग 16 पंचायत क्षेत्र आते हैं। उन्होंने कहा, ”हम किसी की भी आवाज को दबाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।”पुलिस ने लोगों के आरोपों पर स्थानीय टीएमसी नेता शिबप्रसाद हाजरा उर्फ शिबू और उत्तम सरदार को गिरफ्तार कर लिया है।
मजिस्ट्रेट के सामने एक कथित पीड़िता द्वारा दिये गये बयान के बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के सामूहिक बलात्कार और हत्या के प्रयास से जुड़ी धाराओं को जोड़ा गया है।पुलिस के मुताबिक, सरदार को एक सप्ताह पहले गिरफ्तार किया गया था वहीं हाजरा को इन धाराओं के जोड़े जाने के बाद शनिवार को गिरफ्तार किया गया।टीएमसी नेता शेख शाहजहां को ग्रामीणों पर अत्याचार का मुख्य आरोपी बताते हुए राज्य के विपक्षी दल उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।