पश्चिम बंगाल में निजी बस संचालकों के दो प्रमुख संघों ने स्टेज कैरिज परमिट वाली 15 साल पुरानी बसों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की समयसीमा दो साल और बढ़ाने का राज्य परिवहन विभाग से आग्रह किया है।
दो संघों में से एक ‘द ज्वॉइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट’ ने परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे एक पत्र में यह तर्क देते हुए समयसीमा दो वर्ष और बढ़ाने का आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण बस तथा मिनी बसें लगभग तीन वर्ष तक खड़ी रही थीं।परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने बृहस्पतिवार को बताया कि सरकार स्थिति से अवगत है और ऐसे कदमों पर विचार कर रही है जो पर्यावरण के मुद्दों पर भी प्रभावी होंगे और बस परिचालकों तथा उन लाखों लोगों को स्वीकार्य होंगे, जिनकी आजीविका परिवहन क्षेत्र से जुड़ी है।
संयुक्त परिषद के प्रवक्ता तपन बनर्जी ने कहा, ”कई महीनों तक बसें सड़कों से दूर रहीं, जिसके कारण आमदनी बिल्कुल शून्य हो गई थी और इस अवधि के दौरान बैंक को मासिक किस्त भी नहीं चुकाये जा सके हैं। हमारा सुझाव है कि चूंकि वाहन सड़कों से दूर रहे, इसलिए कोलकाता महानगर क्षेत्र (केएमए) में वाहन प्रदूषण भी नहीं हुआ। ऐसे में वाहनों को इस्तेमाल करने की समयसीमा दो साल बढ़ाई जा सकती है। हम सरकार से इस मामले पर ध्यान आकर्षित करने का आग्रह करते हैं।”
निजी बस संचालकों के एक अन्य संघ ‘पश्चिम बंगाल बस और मिनीबस ऑनर्स एसोसिएशन’ के महासचिव प्रदीप नारायण बोस ने कहा, ”लॉकडाउन और महामारी को ध्यान में रखते हुए हम सरकार से बस और मिनी बस की सेवा अवधि दो साल और बढ़ाने का अनुरोध करते हैं।”