उनकी गिनती सिनेमा की दुनिया के उन चुनिंदा सितारों में होती है, जिनकी काबिलियत ही उनकी पहचान है. उन्होंने सिर्फ हिंदी भाषा में ही अपना हुनर नहीं दिखाया, बल्कि मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और अंग्रेजी फिल्मों में भी नजर आया. बात हो रही है अतुल कुलकर्णी की, जिनका जन्म 10 सितंबर 1965 के दिन कर्नाटक में हुआ था. बर्थडे स्पेशल में हम आपको अतुल कुलकर्णी की जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं.
10वीं से ही पढ़ने लगे थे एक्टिंग का पाठ
अतुल कुलकर्णी उन सितारों में से एक हैं, जो बेहद कम उम्र में ही एक्टिंग की दुनिया से कनेक्ट हो गए थे. दरअसल, अतुल कुलकर्णी जब 10वीं में पढ़ रहे थे, उस दौरान उन्होंने एक्टिंग में पहली बार हाथ आजमाया. जब वह कॉलेज में पहुंचे तो थिएटर से जुड़ गए और अभिनय की बारीकियां सीखने लगे. साल 1995 के दौरान अतुल कुलकर्णी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से डिप्लोमा कर लिया.
ऐसा रहा अतुल कुलकर्णी का करियर
अतुल कुलकर्णी ने साल 1977 के दौरान कन्नड़ फिल्म ‘भूमि गीता’ से सिनेमा की दुनिया में डेब्यू किया. इसके बाद वह 2000 के दौरान फिल्म ‘हे राम’ में नजर आए. हालांकि, उनकी किस्मत साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म ‘चांदनी बार’ ने चमकाई. बता दें कि ‘चांदनी बार’ और ‘हे राम’ के लिए अतुल कुलकर्णी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद उन्होंने ‘रंग दे बसंती’, ‘पेज 3’, ‘द अटैक्स ऑफ 26/11’, ‘दिल्ली 6’, ‘द गाजी अटैक’, ‘ए थर्सडे’ सहित अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में काम किया. वहीं, विलेन बनकर भी उन्होंने लोगों के दिलों में खास जगह बनाई.
बतौर स्क्रीनराइटर नहीं मिली कामयाबी
सिनेमा की नई विधा यानी ओटीटी पर भी अतुल कुलकर्णी दस्तक दे चुके हैं. उन्होंने साल 2018 के दौरान ‘द टेस्ट केस’ से ओटीटी डेब्यू किया. इसके बाद वह ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’, ‘बंदिश बैंडिट्स’, ‘रुद्राः द इज ऑफ डार्कनेस’ आदि वेब सीरीज में नजर आए. एक्टिंग के अलावा अतुल स्क्रीनराइटिंग में भी माहिर हैं. हाल ही में वह ‘लाल सिंह चड्ढा’ फिल्म से बतौर स्क्रीनराइटर जुड़े थे, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई.
समाज सेवा में भी माहिर हैं अतुल कुलकर्णी
अतुल की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने गीतांजलि कुलकर्णी को अपना हमसफर बनाया है. गीतांजलि भी थिएटर आर्टिस्ट हैं. उन्होंने ‘गुल्लक’ वेब सीरीज में अपने अभिनय से जमकर तारीफ बटोरी थी. बता दें कि एक्टिंग के अलावा अतुल और गीतांजलि छोटे बच्चों के लिए क्वेस्ट एजुकेशन सपोर्ट ट्रस्ट नाम का एक एनजीओ भी चलाते हैं. इस एनजीओ की मदद से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराई जाती है.
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