पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के शिक्षक भर्ती घोटाले में हाई कोर्ट का फैसला आ गया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने 24 हजार नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने उन लोगों की नौकरी रद्द कर दी है जिन्हें साल 2016 में नौकरी मिली थी. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने इन लोगों को 4 हफ्ते के अंदर 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी भी वापस लेने के निर्देश दिए।हाईकोर्ट के आदेश को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैरकानूनी बताया है। उन्होंने कहा- हम उन लोगों के साथ खड़े रहेंगे जिनकी नौकरियां चली गईं। भाजपा नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं। इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को 24 हजार नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने उन लोगों की नौकरी रद्द कर दी है जिन्हें साल 2016 में नौकरी मिली थी. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने इन लोगों को 4 हफ्ते के अंदर 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी भी वापस लेने के निर्देश दिए।जस्टिस देवांग्शु बसाक और जस्टिस शब्बर रसीदी की बेंच ने कहा कि कैंसर मरीज सोमा दास की नौकरी सुरक्षित रहेगी. पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग ने नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट के आदेश को अवैध बताया है. उन्होंने कहा- हम उन लोगों के साथ खड़े रहेंगे जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है. भाजपा नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं।’ हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.पश्चिम बंगाल सरकार ने 2014 में WBSSC के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ भर्ती किया था। तब 24, 640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक लोगों ने भर्ती परीक्षा दी थी.
बता दे की इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये तक रिश्वत लेने का आरोप है. इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट को कई शिकायतें मिली थीं. सीबीआई ने भर्ती अनियमितताओं के सिलसिले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी सहयोगी मॉडल अर्पिता मुखर्जी और कुछ एसएससी अधिकारियों को गिरफ्तार किया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली (जो अब भाजपा के नेता हैं और तमलूक से भाजपा के उम्मीदवार भी) ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपा थी और पार्थ चटर्जी को भी सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश सुनाया था, जिसके बाद पार्थ चटर्जी की गिरफ़्तारी हुई थी. अभी तक इस मामले में 5000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं, जिन्होंने गलत तरीके से नौकरी पाई थी.
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