उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य को उच्च न्यायालय से झटका लगा है। अदालत ने आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है।अदालत ने इसे जघन्य अपराध करार दिया है। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ में बुधवार को आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। इस मामले में लगातार दो दिन सुनवाई हुई।
आज अदालत ने माना कि यह एक संगीन अपराध है। आरोपी के खिलाफ अभी तक जो तथ्य सामने आये हैं, वह जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज करने के लिये पर्याप्त हैं।शिकायतकर्ता की ओर से अदालत के समक्ष यह भी तथ्य रखा गया कि आरोपी मृतका पर किसी वीआईपी की अनैतिक सेवा के लिये दबाव बना रहा था लेकिन वह आरोपी के दबाव में नहीं आयी। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी।सरकार की ओर से भी कहा गया कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं।
गवाहों के बयानों के साथ ही मौके से फोरेंसिक साक्ष्य जुटाये गये हैं। साथ ही मामले को एसआईटी को सौंप दिया गया।गौरतलब है कि ऋषिकेश के पास स्थित वनंतरा रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्सनिष्ट के पद पर तैनात अंकिता की पिछले साल सितम्बर में हत्या कर दी गयी थी। उसका शव चीला बैराज से मिला था।
हत्या का आरोप वनंतरा रिसॉर्ट के मालिक और पूर्व भारतीय जनता पार्टी नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य और उसके दो अन्य साथियों पर लगा था। तीनों आरोपी पिछले साल से जेल में बंद हैं।इस घटना के बाद प्रदेश में भारी आक्रोश फैल गया था। सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंप दी थी। साथ ही पुलकित आर्य के पिता को पार्टी से जबकि भाई अंकित को पिछड़ा वर्ग आयोग के पद से हटा दिया था।