आंध्र सरकार की चंद्रबाबू नायडू की जमानत रद्द करने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार

आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के परिवार के सदस्यों पर कौशल विकास केंद्रों की स्थापना से संबंधित एक मुकदमे के गवाहों को धमकी देने का आरोप लगाते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय से आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री की जमानत रद्द करने की गुहार लगाई।शीर्ष अदालत के समक्ष राज्य सरकार ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार वालों ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के बाद संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह बहुत गंभीर मामला है, क्योंकि जांच में भाग लेने वाले और बयान देने वाले अधिकारियों को धमकी दी गई है।उन्होंने कहा, ‘(जमानत के) फैसले के बाद बहुत गंभीर और परेशान करने वाला घटनाक्रम रहा है।’

श्री रोहतगी ने कहा, ‘उन्होंने (पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों ने) सार्वजनिक बयान देते हुए कहा था-उन्होंने अधिकारियों के नाम नोट कर लिए हैं।” उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह का धमकी भरा बयान देने वाले पक्ष को जमानत का लाभ नहीं मिल सकता।श्री नायडू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें दीं। श्री लूथरा ने तर्क दिया कि ये आरोप रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं थे।पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह भी कहा, ‘हम ऐसी कोई भी बात नहीं सुनेंगे जो रिकॉर्ड का हिस्सा न हो।’

पीठ ने श्री साल्वे और श्री लूथरा से कहा कि वे संबंधित मामले में (नायडू की) जमानत रद्द करने की मांग करते हुए लगाए गए आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करें। इस पर श्री नायडू के वकील ने कहा कि वे जवाब दाखिल करना चाहेंगे। इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 19 मार्च की तारीख मुकर्रर कर दी।

उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने 16 जनवरी 2024 को पूर्व मुख्यमंत्री से कथित तौर पर जुड़े एक मामले में खंडित फैसला दिया था। पीठ ने ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोक सेवकों के खिलाफ पूछताछ या जांच शुरू करने से पहले पूर्व मंजूरी प्राप्त करने’ के मुद्दे पर अलग-अलग फैसला सुनाया था।

शीर्ष अदालत ने हालांकि, कौशल विकास केंद्रों की स्थापना में 3,300 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में दर्ज मुकदमे में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने, उनकी गिरफ्तारी और हिरासत को अवैध घोषित करने की श्री नायडू की याचिका खारिज कर दी थी। श्री नायडू को नवंबर 2023 में मामले में नियमित जमानत दी गई थी।