सत्ता गठबन्धन में हुए फेरबदल का असर प्रदेश सरकारों में दिखाई देने लगा है। जहां जिसकी सरकार है, वो पुराने गठबन्धन को तोड़ कर नए गठबन्धन बनाने में जुट गए हैं। सभी प्रदेश सरकारें इस समय अल्पमत में आ गई हैं। कहीं मंत्रियों को बर्खास्त किया जा रहा है तो कहीं सरकार से समर्थन वापस लिया जा रहा है।
काठमांडू की सत्ता गठबन्धन में परिवर्तन आने के बाद सातों प्रदेशों की सरकारे अस्थिर हो गई हैं। माओवादी और कांग्रेस पार्टी के अलग होने और एमाले की सत्ता में प्रवेश होने के साथ ही प्रदेश सरकारों का समीकरण बिगड़ गया है। जहां माओवादी के मुख्यमंत्री हैं, वहां कांग्रेस के मंत्रियों ने इस्तीफा देकर समर्थन वापस ले लिया और जहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं, वहां माओवादी मंत्रियों को बर्खास्त किया जा रहा है। सभी प्रदेश में नए सिरे से नए दलों के साथ समीकरण बनाकर बहुमत साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस समय सात प्रदेशों में से 4 प्रदेश में नेपाली कांग्रेस का मुख्यमंत्री है जबकि 2 प्रदेशों में माओवादी का और एक प्रदेश में जनता समाजवादी पार्टी की सरकार है। कोशी, गण्डकी, लुम्बिनी और सुदूरपश्चिम प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। इसी तरह कर्णाली और बागमती प्रदेश में माओवादी की सरकार है। मधेश प्रदेश का नेतृत्व जसपा के पास है।
इन सातों प्रदेशों के मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं। सभी के पास बहुमत हासिल करने के लिए एक महीने का समय है। इसी बीच काठमांडू में बने नए सत्ता समीकरण के कारण कांग्रेस छोटे दल को मिलाकर दो स्थानों की सरकार बचा सकती है। कोशी, गण्डकी और सुदूरपश्चिम प्रदेश में सत्ता का समीकरण अपने हाथ ही रखने का प्रयास जारी है। ऐसे ही माओवादी अपना मुख्यमंत्री रखें या वो एमाले को दें, इसका कोई फैसला नहीं हो पाया है। मधेश में किस तरह से समीकरण बनेगा, इसको लेकर माथापच्ची जारी है।