राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी के समर्थन में वोट डालने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) विधायकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के फैसले से बचते हुये पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बगावती विधायकों के भाग्य का निर्णय जनता करेगी।
श्री यादव ने बुधवार को सपा मुख्यालय में बसपा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि क्रास वोटिंग करने वाले सपा विधायकों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई की जायेगी। हालांकि यह विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है। अगर वह चाहेंगे तो कार्रवाई होगी वरना नहीं होगी।गौरतलब है कि राज्यसभा के उत्तर प्रदेश से रिक्त दस सीटों पर हुये चुनाव में मंगलवार को भाजपा के आठ और सपा के दो प्रत्याशी जीते थे। मतदान में सपा के मनोज पांडे समेत सात विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के समर्थन में मतदान किया था।
बगावती विधायकों को पार्टी से निकाले जाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने वाले विधायकों को पता होना चाहिये कि उन्होने जनता से भाजपा के खिलाफ वोट मांगा था। अब जब वह अपने वोटर्स के सामने किस मुंह से जायेंगे। सपा विधायक मनोज पांडे के बयान पर पलटवार करते हुये उन्होने कहा, “वह कहते हैं कि मैने अंतर्रात्मा की आवाज पर भाजपा को वाेट किया है जबकि सच्चाई यह है कि उनका अंतर खात्मा हो गया है। मुझे तो यह चिंता है कि जो बड़े पैमाने पर आरएसएस और भाजपा की सूचना देते थे, वह सूचना अब कौन देगा।’’
श्री यादव ने कहा कि अब देखना यह है कि भाजपा का समर्थन करने वालों को क्या पैकेज मिलता है। किसी को मंत्री बनायेंगे किसी को राज्यसभा भेज देंगे। जब वादे पूरे नहीं होंगे तो फिर वापस लौट जायेंगे।उन्होने आरोप लगाया कि भाजपा एसटीएफ जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग लोगों को डराने के लिये कर रही है। उन्होने कहा कि कुछ जान बचाने के लिये तो कुछ सम्मान के लालच में भाजपा के खेमे में शामिल हो रहे हैं। उम्मीद है कि उन्हे सम्मान जल्द मिलेगा।
श्री यादव ने कहा कि पीडीए परिवार के लगातार बढ़ने से भाजपा बौखलायी हुयी है और यही कारण है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शो की बात करने वाली भाजपा सिद्धांतों को ताक में रख कर अन्य दलों को तोड़ने में लग गयी है। अब तो भाजपा को अपना एक अलग गुट बना लेना चाहिये जिसे भाजपा सिद्धांतहीन का नाम देना चाहिये और इस गुट में अन्य दलो से टूट कर आये लोगों को लेना चाहिये।
उन्होने कहा कि सपा और भाजपा के बीच की राजनीतिक लड़ाई संविधान के रक्षकों और संविधान के भक्षकों के बीच का युद्ध है। समुद्र मंथन की तरह इसे संविधान मंथन का नाम दिया जाये तो ठीक रहेगा। अब रक्षकों और भक्षकाें के बीच जीत हार का फैसला मतदाता करेंगे। इस मौके पर दो बार विधायक रहे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने सपा का दामन थाम लिया। गुड्डू जमाली ने कहा कि भाजपा के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में वह अपने समर्थकों के साथ सपा का साथ अंतिम सांस तक देंगे।