दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर की जिद्द के चलते 17 साल बाद इस मृतका को इंसाफ मिल सका है. इतने सालों से खुले घूम रहे 57 वर्षीय आरोपी को पकड़ लिया गया है. साल 2007 में दक्षिण दिल्ली में एक हत्याकांड सामने आया था. ट्रंक में एक 22 साल की लड़की का शव बरामद किया गया था. वारदात में शामिल मुख्य आरोपी घटनास्थल से फरार होने में सफल रहा. मृतका को देह व्यापार के तहत पश्चिम बंगाल से दिल्ली लाया गया था एसआई रमेश साल 2007 में एएसआई के पद पर थे.
बता दे कि पूरा मामला साल 2007 में दक्षिण दिल्ली में एक हत्याकांड का है. ट्रंक में एक 22 साल की लड़की का शव बरामद किया गया था. वारदात में शामिल मुख्य आरोपी घटनास्थल से फरार होने में सफल रहा. मृतका को देह व्यापार के तहत पश्चिम बंगाल से दिल्ली लाया गया था. दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर की जिद्द के चलते 17 साल बाद इस मृतका को इंसाफ मिल सका है. इतने सालों से खुले घूम रहे 57 वर्षीय आरोपी को पकड़ लिया गया है. एसआई रमेश साल 2007 में एएसआई के पद पर थे.
दिल्ली में 22 वर्षीय एक युवती की हत्या कर 17 साल से फरार 57 वर्षीय व्यक्ति को रोहिणी से गिरफ्तार कर लिया गया। यह जानकारी मंगलवार को एक पुलिस अधिकारी ने दी।आरोपी की पहचान बिहार के वैशाली जिले के निवासी वीरेंद्र सिंह के रूप में हुई। 2 जून 2007 को उसने दिल्ली में एक अपाॅर्टमेंट किराए पर लिया और दो दिन बाद युवती की हत्या कर दी। शव को एक ट्रंक में छिपा दिया और फरार हो गया।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,” जांच के दौरान वारदात का सह-आरोपी शंकर घोष को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन वीरेंद्र सिंह फरार था। 2008 में अदालत ने उसे ‘घोषित अपराधी’ करार दिया।”
कालकाजी पुलिस स्टेशन में तैनात रहे सहायक उप-निरीक्षक (अपराध शाखा) रमेश ने स्थानांतरण के बावजूद मामले की जांच जारी रखी।पुलिस उपायुक्त (अपराध) अमित गोयल ने कहा,”रमेश ने आरोपी का पता लगाना जारी रखा। इस बीच सूचना मिली कि आरोपी वीरेंद्र हरियाणा के पानीपत में छिपा हुआ है। पुलिस ने वहां छापेमारी की, लेकिन वह वहां से फरार हो गया। पुलिस ने उसका पीछा करना जारी रखा। वह अपने किराए के आवास को बार-बार बदल रहा था।”फरवरी में एएसआई रमेश का ट्रांसफर क्राइम ब्रांच में हो गया। रमेश ने इस केस को चुनौती के तौर पर लिया और फिर से इस पर काम करना शुरू कर दिया।
पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने बताया,” रमेश को आरोपी और उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद जाल बिछाकर आरोपी को रोहिणी के विजय विहार इलाके से पकड़ लिया गया।”पूछताछ में पता चला कि वह 1991 में दिल्ली आया और टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करते हुए चितरंजन पार्क इलाके में रहने लगा। उस दौरान वह कई लोगों के संपर्क में आया और देह व्यापार में शामिल हो गया।
डीसीपी ने कहा,”2007 में, वह पश्चिम बंगाल से एक युवती को लाया और उसे देह व्यापार में धकेल दिया। उसने युवती को 10 हजार रुपये में खरीदा था। चार जून को जब बीमारी के कारण युवती ने देह व्यापार से इनकार कर दिया, तो उसने उसकी हत्या कर दी और शव को लोहे के एक बक्से में छिपा दिया। इसके बाद वह कोलकाता भाग गया।”वह सिलीगुड़ी में एक लड़की के घर पर रुका, जो दिल्ली में उसके लिए काम करती थी।
डीसीपी ने कहा,”वह पश्चिम बंगाल में अपने ठिकाने बदलता रहा। 2009 में, वह अंबाला आया और अपने दोस्त लभू के साथ जुड़ गया, जो देह व्यापार में शामिल था। 2013 में वह पानीपत शिफ्ट हो गया और देह व्यापार को अंजाम देता रहा। 2019 में दिल्ली वापस आ गया और विजय विहार में रहने लगा। वर्तमान में वह बिहार, पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों से आई युवतियों को दिल्ली में नौकरानियों के रूप में भर्ती करने के लिए एक कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था।”
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