शिक्षक भर्ती मामले में बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

बीते सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा की गई स्कूल शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया गया था। इस मामले में कुल 23,753 नौकरियां रद्द करने का सख्त आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट के इस आदेश की वजह से सभी शिक्षकों का चार हफ्ते का वेतन भी लौटाना होगा। इस पर ब्याज भी  टीचर्स को जोड़ने के लिए खा गया है। मंगलवार के दिन पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को हाईकोर्ट ने 2016 के स्कूल नौकरी मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए 23 अप्रैल तक का समय दिया था। लेकिन मुख्य सचिव ने अब तक इस आदेश को नही माना था अब इस बात से नाराज हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई थी और कहा था की अगर मुख्य सचिव ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि इस घोटाले में पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री पार्थ चटर्जी,पूर्व एसएससी अध्यक्ष सुबीरस भट्टाचार्य, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के पूर्व सचिव अशोक साहा,  और सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष शांति प्रसाद सिन्हा को हिरासत में लिया गया था।  जिस पर  मुकदमा चलाने की मंजूरी का सीबीआई का आवेदन 2022 से अभी तक लंबित है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल के मुकदमे पर इस सुनवाई को एक मई तक के लिए  स्थगित कर दिया गया था।पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे। पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र सरकार के खिलाफ शीर्ष अदालत में एक मुकदमा दाखिल किया है।

बंगाल सरकार ने अपने पक्ष में कहा था  आरोप है कि राज्य सरकार के क्षेत्र के अधिकार में आने वाले मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को पहले मंजूरी दे दी गई थी दी गई बाद में इस मंजूरी को वापस ले ली गयी, सीबीआई अपनी  प्राथमिकियां अभी भी दर्ज कर रही है और जांच को आगे बढ़ा रही है। अनुच्छेद 131के अनुसार एक राज्य को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विवाद की स्थिति में सीधे उच्चतम न्यायालय में जाने का अधिकार देता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर  को राज्य में जांच और छापेमारी के लिए सीबीआई को जो अनुमति दी गई थी उसको आम सहमति वापस ले ली थी।

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