केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं में भेदभाव और फंडिंग रोके जाने की बात करने पर बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार में दिए गए सभी फंड का विस्तार से आंकड़ा देते हुए सवाल पूछे हैं।
गिरिराज ने कहा कि ममता बताएं क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत पिछले नौ सालों में 54 हजार करोड़ रुपये से अधिक रिलीज किए हैं जबकि यूपीए सरकार ने मात्र 14 हजार करोड़ रुपये दिये थे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार ने 30 हजार करोड़ रुपये मकान बनाने के लिए खर्च किए जबकि यूपीए सरकार ने सिर्फ 44 सौ करोड़ रुपये खर्च किए थे।
पिछले नौ सालों में पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए मोदी सरकार ने करीब 45 लाख आवास बनाए जबकि यूपीए सरकार में सिर्फ 15 लाख आवास बने। मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पिछले नौ सालों में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए जबकि यूपीए सरकार में यह आंकड़ा मात्र 58 हजार करोड़ रुपये था। यह सवाल कहां से आता है कि फंड रिलीज के मामले में केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के साथ पक्षपात किया है।
गिरिराज ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपात्र लाभार्थियों को आवास क्यों दिया गया। 22 जनवरी को इंडियन एक्सप्रेस ने फ्रंट पेज पर एक फोटो छापा था, जहां दो मंजिला हवेली के मालिक को भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मुहैया कराया गया था। पश्चिम बंगाल के पूर्व वर्धमान, उत्तर 24 परगना तथा दक्षिण 24 परगना जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अपात्र परिवारों को सहायता दी गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना स्कीम का नाम बदलकर ममता सरकार में इसे बांग्ला आवास योजना के रूप में दिखाते हुए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय कई बार पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल-जवाब करते हुए एटीआर की मांग कर चुका है लेकिन कभी राज्य सरकार ने संतोषजनक जवाब क्यों नहीं दिया। मनरेगा के तहत गैर अनुमेय कार्य किए गए लेकिन ऐसे कार्यों की वसूली नहीं की गई। मनरेगा के पैसे का इस्तेमाल चाय फैक्टरी ईस्टेट की निजी भूमि पर इस्तेमाल कर प्राइवेट लोगों को फायदा पहुंचाया गया।
गिरिराज ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत पश्चिम बंगाल राज्य को धनराशि जारी करने पर रोक लगाने के निर्णय की पृष्ठभूमि बहुत पुरानी है। तत्कालीन संयुक्त सचिव (ग्रामीण रोजगार) के नेतृत्व में केन्द्रीय दल द्वारा 22 से 24 जनवरी, 2019 की अवधि में पूर्वा वर्धमान एवं हुबली जिले के 13 ग्राम पंचायतों का दौरा किया गया। इस दौरान योजनाओं के क्रियान्वयन में विशेषकर मिट्टी के काम से संबंधित कार्यों में कई गंभीर कमियां पाई गई।