फिटनेस और व्यायाम की पारंपरिक एवं देसी शैलियों को सोशल मीडिया मंचों के जरिए बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्धि हासिल करने वाले अंकित बैंयापुरिया ने कहा है कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए कड़ी मेहनत एवं आत्म-अनुशासन अत्यावश्यक हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की जयंती की पूर्व संध्या पर स्वच्छता अभियान के तहत एक पार्क में बैंयापुरिया के साथ मिलकर रविवार को श्रम दान किया और हाथ में झाड़ू थामकर पार्क में सफाई की। मोदी ने आमजन से भी इस अभियान के तहत एक घंटे श्रमदान करने की अपील की थी।
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर रविवार को लिखा था, ”आज जब राष्ट्र स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, अंकित बैंयापुरिया और मैंने भी ऐसा ही किया! स्वच्छता से परे, हमने फिटनेस और बेहतर स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित किया। ”वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी और बैंयापुरिया को झाड़ू लगाते और कूड़ा-कचरा उठाते भी देखा जा सकता है।
सोनीपत के रहने वाले और स्नातक की डिग्री ले चुके बैंयापुरिया के माता-पिता मजदूर हैं। अंकित बैंयापुरिया बचपन से ही अपनी फिटनेस और अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहे हैं।
बैंयापुरिया के मात्र 25 साल की उम्र में इंस्टाग्राम पर 50 लाख से अधिक फॉलोवर हैं। इसके अलावा यूट्यूब पर भी इनके बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं। वह सोशल मीडिया मंचों पर अपने व्यायाम करते समय के वीडियो नियमित रूप से साझा करते रहते हैं और इन वीडियो की शुरुआत में वह अपने चिर-परिचित अंदाज में अपने फॉलोवर का अभिवादन करते हुए कहते हैं- ”राम राम भाई सारया न।”
बैंयापुरिया ने रविवार के कार्यक्रम के बाद दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने की बहुत पुरानी इच्छा थी।उन्होंने कहा, ”जब कुछ दिन पहले मुझे इस कार्यक्रम के बारे में फोन आया तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। जब मैं दिल्ली में था, तब भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं प्रधानमंत्री से मिलूंगा। मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात होने के बाद ही अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया।”बैंयापुरिया ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीब 40 मिनट बिताए।
उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने मुझसे मेरी दिनचर्या के बारे में पूछा। उन्होंने पूछा कि मैं कितने घंटे व्यायाम करता हूं। उन्होंने मुझसे अच्छे से बात की। वे बहुत साधारण व्यक्ति की तरह मिले। हमारे प्रधानमंत्री मेरे जैसे लाखों युवाओं के आदर्श हैं।”बैंयापुरिया की दो बड़ी बहनें हैं। उन्होंने फिटनेस के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत गांव के ‘अखाड़े’ में कुश्ती से की थी और कुछ मुकाबलों के दौरान चोट लगने के बाद वह बहुत निराश हो गए थे।
उन्होंने कहा, ”आराम करने और चोट से उबरने की अवधि के दौरान आप हिल जाते हैं और आपके मन में नकारात्मक विचार आते हैं… मुझे किसी ने भगवद्गीता दी एवं इसे पढ़ने से मुझे बहुत लाभ हुआ और इसने मुझे मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद की।”बैंयापुरिया पिछले कुछ साल से छोटी-मोटी नौकरियां कर रहे हैं।
सोनीपत में बैंयापुरिया की मां स्वच्छता अभियान के दौरान अपने बेटे को प्रधानमंत्री के साथ देखकर खुशी से फूली नहीं समायीं।बैंयापुरिया की मां ने कहा, ”परमात्मा, हर मां बाप को ऐसा ही मेहनती बच्चा दे। उसका (बैंयापुरिया) हमेशा सादा जीवन जीने में भरोसा रहा है और वो बचपन से ही सादा भोजन करता आया है।”