बांग्लादेश में हिंसा के बाद अब राष्ट्रगान और झंड़े को लेकर लोग सड़कों पर उतरे

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार में बहुत कुछ बदला जा रहा है। वहीं अब कुछ संगठनों की राष्ट्रगान और झंडे को बदलने की मांग के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। बांग्लादेश के प्रमुख सांस्कृतिक संगठन उडिच्ची शिल्पी गोष्ठी के अध्यक्ष प्रोफेसर बदीउर्रहमान ने नए राष्ट्रगान और झंडे की मांग के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन किए।

राजधानी ढाका में उडिच्ची शिल्पी और कुछ दूसरे संगठनों ने कहा कि देश के राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के खिलाफ एक साजिश रची जा रही है। एक मुहिम के तहत झंडे और राष्ट्रगान पर हमले हो रहे हैं। ऐसी किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उडिच्ची शिल्पी गोष्ठी ने जमात-ए-इस्लामी के नेताओं के बयान के विरोधों में ये प्रदर्शन किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक सांस्कृतिक संगठनों को लोगों ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के लिखे राष्ट्रगान को गाकर और झंडा फहराकर अपनी एकजुटता दिखाई।

बदीउर्रहमान ने कहा कि 1971 का मुक्ति संग्राम हमारा सबसे बड़ा गौरव है और हम इसके खिलाफ किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। हमारा राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज हमारी उपलब्धि है, जिसके लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां दी हैं। खून और बलिदान के बदले में अर्जित किए गए गौरव को हम ऐसे ही नहीं बदलने दे सकते।

बदीउर्रहमान ने कहा कि हम देश की गौरवशाली उपलब्धि को धूमिल नहीं होने देंगे। जब भी हम अपने मुक्ति संग्राम, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के खिलाफ कोई साजिश देखेंगे तो आवाज उठाएंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि मुक्ति संग्राम, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान हमारी पहचान है, इसके बिना हम अधूरे हैं। ऐसे में अपनी पहचान के लिए हम लड़ेंगे।

बांग्लादेश में राष्ट्रगान और झंडे पर विवाद की वजह जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के नेता का हालिया बयान है। बता दें विगत दिवस जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने कहा था कि देश के पुराने राष्ट्रगान की जगह नया राष्ट्रगान आना चाहिए। आजम ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई पर भी सवाल उठाए। इस पर देश के कई संगठन भड़के गए।

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