प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को गुजरात के सूरत में “जल संचय जन भागीदारी” पहल की शुरुआत करेंगे, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को सुदृढ़ करना है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह पहल मौजूदा “जल शक्ति अभियान: कैच द रेन” अभियान के अनुरूप है, जो दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोगात्मक जल प्रबंधन के मोदी के दृष्टिकोण को सुदृढ़ करता है। इस पहल का उद्देश्य गुजरात में नागरिकों, स्थानीय निकायों, उद्योगों और हितधारकों को वर्षा जल संचयन संरचनाओं को लागू करने के लिए प्रेरित करना है। इन प्रयासों के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करने की उम्मीद है, जिससे टिकाऊ जल-प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा और पूरे देश में जल सुरक्षा बढ़ेगी।
यह कार्यक्रम मोदी के “समाज के समग्र” दृष्टिकोण के आह्वान को रेखांकित करता है, जिसमें बारिश की हर बूंद को एक मूल्यवान संसाधन में बदलने की दिशा में सामूहिक कार्रवाई का आग्रह किया गया है। इस पहल के तहत निर्मित संरचनाएं वर्षा जल संचयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, समुदाय द्वारा संचालित जल संरक्षण में गुजरात की सफलता को प्रदर्शित करेंगी और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगी। बयान में कहा गया है कि सामुदायिक भागीदारी पर आधारित जल संरक्षण का गुजरात का मॉडल भारत में एक अग्रणी उदाहरण रहा है।
बयान में कहा गया है कि “जल संचय जन भागीदारी” पहल के आरंभ को एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा जा रहा है, जिसे अन्य राज्यों को इन प्रयासों को दोहराने के वास्ते प्रेरित करने के लिए तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री ने अक्सर जल संरक्षण को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में रेखांकित किया है, जो स्थायी जल प्रबंधन के लिए उनकी दीर्घकालिक वकालत को दर्शाता है। इस शुरुआत में देशभर के राज्य नोडल अधिकारियों की भागीदारी के साथ, यह कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी, जल-सुरक्षित भविष्य बनाने के राष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है।
बयान में कहा गया है कि यह पहल 2019 में शुरू हुए “जल शक्ति अभियान: कैच द रेन” अभियान की सफलता पर आधारित है। कोविड-19 महामारी के कारण व्यवधानों के बावजूद, यह अभियान एक वार्षिक राष्ट्रव्यापी प्रयास बन गया है। बयान में कहा गया है कि मार्च में शुरू किए गए इसके वर्तमान संस्करण में “नारी शक्ति से जल शक्ति” विषय के तहत जल प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व पर जोर दिया गया है।
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