आप ने ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर भाजपा पर निशाना साधा, संविधान विरोधी बताया

आम आदमी पार्टी ने ‘लेटरल एंट्री’ के मुद्दे को लेकर मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और उस पर ‘संविधान विरोधी’ होने का आरोप लगाया।

केंद्र ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से इस पर उठे विवाद के बीच ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से भर्ती के लिए जारी किया गया नवीनतम विज्ञापन वापस लेने को कहा।

आप नेता जस्मीन शाह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा, आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति में आरक्षण समाप्त करना चाहती है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘पूरा देश जानता है कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संविधान और आरक्षण विरोधी है। वे आईएएस अधिकारियों की नियुक्तियों में आरक्षण खत्म करना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने ‘400 पार’ का नारा दिया था, लेकिन लोगों ने उनके इरादों को समझ लिया और उन्हें 240 सीटों तक सीमित कर दिया।’

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा है।

यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसे सरकारी विभागों में विशेषज्ञों (निजी क्षेत्र से भी) की नियुक्ति भी कहा जाता है।

इस निर्णय की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी। उनका दावा था कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकारों का हनन होगा।

यूपीएससी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है। इसमें निजी क्षेत्रों से अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर व डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया जाता है।

केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा की थी।

आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं-भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ‘ग्रुप ए’ सेवाओं के अधिकारी तैनात किए जाते हैं।

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