उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर तंज कसते हुए सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कहा कि वह शिक्षा और युवाओं को आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर रखे। सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”दर्द देने वाले, दवा देने का दावा न करें!”
इसी पोस्ट में यादव ने कहा, ‘‘69, 000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ (केशव प्रसाद मौर्य) का बयान भी साज़िशाना है। पहले तो आरक्षण की हकमारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के खिलाफ लड़कर लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गए।”
मौर्य ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों की जीत है, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। मैं उनका तहे दिल से स्वागत करता हूं।’’ यादव ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘दरअसल ये ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वे तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं।”
यादव ने साथ ही कहा, ‘‘वे इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उंगली उठा रहे हैं, वे ‘माननीय’ भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं। शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत के कारण उत्तर प्रदेश कई साल पीछे चला गया है।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) के तहत राज्य में 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जून 2020 में जारी चयन सूची व 6, 800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने महेंद्रपाल व अन्य द्वारा एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल की गईं 90 विशेष अपील को एक साथ निस्तारित करते हुए संबंधित फैसला सुनाया।
यह भी पढ़े :-
जाने नींबू के साथ किन चीजों का सेवन बिल्कुल भी ना करें, हो सकता है खतरनाक