ऑनलाइन ऑर्डर पर खान-पान का सामान पहुंचाने वाले मंच जोमैटो ने इस साल मार्च तक ग्राहकों से मंच शुल्क के रूप में 83 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कंपनी की सालाना रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
जोमैटो ने पिछले साल अगस्त में प्रत्येक ऑर्डर पर मंच शुल्क लेना शुरू किया था।
मंच शुल्क को जोमैटो के समायोजित राजस्व को बढ़ाने वाले तीन प्रमुख कारकों में से एक बताया गया है। कंपनी की आमदनी पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में सालाना आधार पर 27 प्रतिशत बढ़कर 7,792 करोड़ रुपये हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया, “जीओवी (सकल ऑर्डर मूल्य) के प्रतिशत के रूप में समायोजित राजस्व में वृद्धि जारी रही, जिसका मुख्य कारण रेस्तरां कमीशन दरों में वृद्धि, विज्ञापन मौद्रिकरण में सुधार और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से प्लेटफॉर्म (मंच) शुल्क की शुरुआत है।”
इसमें कहा गया है कि इन सभी कारकों ने ‘गोल्ड’ ऑर्डरों पर उपलब्ध मुफ्त डिलीवरी लाभ के कारण प्रति ऑर्डर ग्राहक डिलीवरी शुल्क में कमी की भरपाई कर दी।
जोमैटो की रिपोर्ट के अनुसार, दिलचस्प बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष में देर रात के अधिकांश ऑर्डर दिल्ली एनसीआर से आए थे, जबकि नाश्ते के अधिकांश ऑर्डर बेंगलुरु से आए थे।
कंपनी ने पिछले अगस्त में दो रुपये प्रति ऑर्डर मंच शुल्क लेना शुरू किया था, जिसे अब प्रमुख बाजारों में धीरे-धीरे बढ़ाकर छह रुपये कर दिया गया है।
जोमैटो की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी स्विगी भी प्रत्येक ऑर्डर पर मंच शुल्क लेती है।
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