मणिपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 23 विधायकों ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए है, जिसमें हिंसाग्रस्त राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का संकल्प लिया गया है।विधायकों ने संकल्प लिया कि वे जल्द से जल्द दिल्ली जाएंगे ताकि वर्तमान संकट का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को राजी किया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल नहीं हैं।
संकल्प में हस्ताक्षर करने वाले नेताओं ने नवगठित नागरिक समाज संगठन ‘यूथ ऑफ मणिपुर'(वाईओएम) के सदस्यों के साथ सोमवार रात मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठक के बाद बताया कि कुकी-जो समुदाय की एक अलग प्रशासन की मांग उन्हें स्वीकार्य नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया,”विधानसभा के सभी अधोहस्ताक्षरी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि हम मणिपुर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़े रहेंगे और किसी भी प्रकार के अलग प्रशासन पर सहमत नहीं होंगे।”
वाईओएम के हजारों सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए उनके बंगले की तरफ जुलुस निकाला लेकिन सुरक्षाबलों ने कुछ सदस्यों को इसकी इजाजत दी गई।मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के दौरान, वाईओएम सदस्यों ने कुकी समुदाय के उन 10 विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने मणिपुर में उनके समुदाय के लिए अलग प्रशासन की मांग की है। उन्होंने इस मामले पर चर्चा के लिए एक विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने और राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की भी मांग की।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।