सनातन धर्म सत्ता परजीवियों से नहीं मिटने वाला है: सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन धर्म सत्ता परजीवियों से नहीं मिटने वाला है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस लाइन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होने कहा “ सनातन धर्म सत्ता परजीवियों से नहीं मिटने वाला है। जो सनातन नहीं मिटा था रावण के अहंकार से, जो सनातन नहीं डिगा था कंस की हुंकार से, जो सनातन नहीं मिटा था बाबर और औरंगजेब के अत्याचार से, उस सनातन धर्म को कोई क्या मिटा पाएगा।”

CM योगी ने कहा कि सनातन धर्म पर उंगली उठाने का मतलब है मानवता को संकट में डालने का कुत्सित प्रयास करना। सनातन धर्म को सूर्य की तरह ऊर्जा देने वाला बताते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति मूर्खतावश सूर्य की तरफ थूकने का प्रयास कर रहा है तो उसे समझना चाहिए कि सूर्य तक उसका थूक नहीं पहुंचेगा, बल्कि पलटकर थूक उसके सिर पर ही गिरेगा। साथ ही उसकी आने वाली पीढ़ियों को लज्जित होना पड़ेगा। हमें भारत की परंपरा पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।

उन्होने कहा कि ईश्वर को मिटाने वाला मिट गया। 500 साल पहले सनातन का अपमान हुआ। आज अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। विपक्ष तुच्छ राजनीति करने का प्रयास कर रहा है। विपक्ष भारत की प्रगति में व्यवधान पैदा करने की कोशिश कर रहा है। हर काल में सत्य को झुठलाने का प्रयास हुआ है। क्या रावण ने झुठलाने का प्रयास नहीं किया था। उससे पहले हिरण्यकश्यप ईश्वर की और सनातन धर्म की अवमानना करने का प्रयास नहीं किया था। क्या कंस ने ईश्वरीय सत्ता को चुनौती नहीं दी थी।

ईश्वरीय सत्ता को चुनौती देने वाले आज क्या कर रहे हैं, उनकी स्थिति क्या है। सब कुछ मिट गया। कुछ नहीं बचा। जैसे सत्य है, शाश्वत है। वैसे ही सनातन धर्म भी सत्य और शाश्वत है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना के लिए हुए था। पांच हजार वर्षों से लगातार भगवान श्रीकृष्ण की आदर्श प्रेरणा भारत समेत पूरी दुनिया के मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही है। भारत के अंदर जब भी अत्याचार और अन्याय हुआ तो हमारे ईश्वरीय अवतारों ने एक विशिष्ट प्रकाश पुंज के रूप में समाज का मार्गदर्शन किया।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने शांति काल में सामान्य नागरिकों को कर्म की प्रेरणा प्रदान करने वाला ‘कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का मंत्र दिया। वहीं संकट काल में समाज को परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् के मंत्र को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।

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