इसरो का मिशन चंद्रयान-3 एक अहम पड़ाव पर पहुंच गया. 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद सोमवार को विक्रम चांद पर 18 दिन की लंबी नींद में चला गया. इसरो ने ट्वीट में बताया कि विक्रम लैंडर सुबह लगभग 8 बजे स्लीप मोड में चला गया. इससे पहले, चाएसटीई , रंभा-एलपी और इलसा पेलोड से नए स्थान पर प्रयोग किए गए. इनसे मिला डेटा यहां धरती पर भेजा गया. इसरो ने बताया कि पेलोड अब बंद कर दिए गए हैं.
हालांकि, लैंडर विक्रम के रिसीवर चालू रखे गए हैं. इसरो के अनुसार सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी खत्म हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के बगल में सो जाएगा. 22 सितंबर, 2023 के आसपास उनके फिर से जगने की उम्मीद है.इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने कहा था कि चंद्र मिशन के रोवर और लैंडर चंद्रमा की रात में निष्क्रिय हो जाएंगे.
23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर लैंडर से बाहर निकला और लगातार वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिए. इसरो ने बताया था कि रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, सल्फर और अन्य सामग्रियों की खोज की, जबकि हाइड्रोजन की उपस्थिति के संबंध में जांच जारी है.