सत्तारूढ़ दल के विवाद और वामपंथी दलों के विरोध के बावजूद अमेरिकी परियोजना मिलिनियम चैलेंज कम्पैक्ट के कार्यान्वयन के लिए दोनों देशों के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया है।देश के मुख्य प्रशासनिक भवन सिंह दरबार के अर्थ मंत्रालय में एमसीसी के कार्यान्वयन समझौते पर नेपाल के तरफ से वित्त मंत्री डॉ. प्रकाश शरण महंत और अमेरिका की तरफ से एमसीसी उपाध्यक्ष कैमरून अलफोर्ड ने हस्ताक्षर किए।
इसके साथ ही अब नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र में भारतीय सीमा तक करीब 315 किलोमीटर लम्बे प्रसारण लाइन के निर्माण का रास्ता खुल गया है। इसके लिए अमेरिकी सरकार की तरफ से 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिया जा रहा है। कार्यान्वयन समझौता हस्ताक्षर के बाद जमीन अधिग्रहण का काम शुरू होगा। इस समझौते को पांच वर्षों में ही पूरा करने की शर्त रखी गई है।
एक तरफ एमसीसी समझौता के कार्यान्वयन पर हस्ताक्षर हो रहा था तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ गठबन्धन के कुछ दलों का विरोध प्रदर्शन चल रहा था। माधव नेपाल के नेतृत्व में रहे एकीकृत समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसी तरह सत्तारूढ़ मोर्चा में रहे माओवादी पार्टी का एक घटक भी विरोध प्रदर्शन कर रहा है।माओवादी पार्टी के महासचिव देव गुरूंग ने कहा कि एमसीसी समझौता संसद से पारित होने पर उसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी भले सरकार पर है लेकिन नेपाल की संसद ने जो व्याख्यात्मक टिप्पणी पारित की थी उसको लेकर अमेरिकी चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
नेपाल के कई छोटे वामपंथी दलों ने भी एमसीसी का विरोध किया है। इस गुट का नेतृत्व कर रहे मोहन वैद्य किरण ने कहा कि यह राष्ट्रघाती समझौता है। नेपाल में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को सुनिश्चित करने और नेपाल की भूमि से पड़ोसी देश चीन को घेरने की रणनीति है। वैद्य की तरह नेत्र विक्रम चन्द विप्लव का कहना है कि अमेरिका ने अब तक आधिकारिक तौर पर नहीं माना है कि यह इंडो पैसिफिक स्ट्रैटिजी का हिस्सा नहीं है। इससे नेपाल में अमेरिकी सैन्य अखाड़ा बनने का खतरा है।