अयोध्या नगरी में भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सभी जरूरी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हर छोटी- बड़ी वस्तु, सामग्री व सुविधाओं पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे में विश्व के विभिन्न हिस्सों से अयोध्या के मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए आने वाले देशी और विदेशी रामभक्तों को मंदिर परिसर तक पहुंचने में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए अलग- अलग स्थानों पर बहुभाषीय ‘संकेतक’ यानी साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
ये साइन बोर्ड ही उन्हें बताएगा कि किस ओर जाना है। इन साइन बोर्ड की सबसे खास बात ये ही है कि, इसे देखने वाला अपनी भाषा में ही इसे समझकर सही रास्ते को चुन सकेगा। उसे हर जगह रूककर रास्ते के संबंध में किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे अनावश्यक यातायात भी बाधित नहीं होगा।
इन भाषाओं में हैं ‘संकेतक’—
इनमें हिंदी, उर्दू, असमिया, उडिय़ा, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोडो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत और सिंधी भाषा शामिल है। वहीं संयुक्त राष्ट्र की छह भाषाओं में भी संकेतक लगाने का कार्य हो रहा है, उनमें अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश शामिल हैं। इसके अलावा मंदिर की ओर जाने वाले उन रास्तों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं के चलने के लिए भी सुविधाजनक हो। इसके लिए सभी तरह के वाहनों पर भी रोक लगाई जाएगी। ताकि ये पैदल पथ सुचारू ढंग से चल सके। इन सभी संकेतकों को 22 जनवरी के पहले पूरा करने का लक्ष्य है।
इन स्थानों पर लग रहे संकेतक—
राम की पैड़ी, नागेश्वर नाथ, भजन संध्या स्थल नया घाट, क्वीन हो पार्क, लता मंगेशकर चौक, रामपथ, जन्मभूमि पथ, भक्तिपथ, धर्मपथ, चौधरी चरण सिंह घाट, रामकथा संग्रहालय, जानकी महल, दशरथ महल, रामकोट, तुलसी स्मारक भवन, छोटी देवकाली मंदिर, सरयू घाट, सूर्य कुंड, गुप्तारघाट, गुलाब बाड़ी, कंपनी गार्डन, साकेत सदन, मंदिर निकट गुप्तार घाट, चौधरी चरण सिंह पार्क, संत तुलसी घाट, तिवारी मंदिर, तुलसी उद्यान, गोरखपुर-लखनऊ बाईपास, बैकुंठ धाम, मिथिला धाम, अयोध्या आई हॉस्पिटल, हनुमानगढ़ी रोड, राजद्वार मंदिर तिराहा, कनक भवन रोड, दिगंबर जैन मंदिर, श्रीराम हॉस्पिटल, राम कचेहरी, रंगमहल, अमावा राम मंदिर, सीताकुंड, मणि पर्वत, अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन आदि।