प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जी-20 लीडर्स सम्मिट के लिए भारत पूरी तरह तैयार है और सितम्बर का महीना देश के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है।श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 104वीं कड़ी में कहा कि सितम्बर का महीना भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। अगले महीने होने जा रही जी 20 लीडर्स सम्मिट के लिए भारत पूरी तरहसे तैयार है।
इस आयोजन में भाग लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अनेक वैश्विक संगठन राजधानी दिल्ली आ रहे हैं। जी 20 सम्मिट के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने जी 20 को और ज्यादा समावेशी फ़ोरम बनाया है। भारत के निमंत्रण पर ही अफ़्रीकी संघ भी जी 20 से जुड़ी और अफ्रीका के लोगों की आवाज दुनिया के इस अहम प्लेटफार्म तक पहुंची।
उन्होंने कहा, “पिछले साल बाली में भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिलने के बाद से अब तक इतना कुछ हुआ है, जो हमें गर्व से भर देता है। दिल्ली में बड़े-बड़े कार्यक्रमों की परंपरा से हटकर, हम इसे देश के अलग-अलग शहरों में ले गए। देश के 60 शहरों में इससे जुड़ी करीब-करीब 200 बैठकों का आयोजन किया गया। जी 20 डेलीगेट्स जहां भी गए, वहां लोगों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। यह डेलीगेट्स हमारे देश की विविधता देखकर, हमारी वाइब्रेंट लोकतंत्र देखकर, बहुत ही प्रभावित हुए। उन्हें ये भी एहसास हुआ कि भारत में कितनी सारी संभावनाएं हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा “डेलीगेट्स की हमारी अध्यक्षता, पीपुल्स प्रेसीडेंसी है जिसमें जनभागीदारी की भावना सबसे आगे है। जी 20 के जो ग्यारह इंगेजमेंट्स समूह थे, उनमें अकादमिक, सिविल सोसाइटी, युवा, महिलाएं, हमारे सांसद, आंतर्पिनोर और शहरी प्रशासन से जुड़े लोगों ने अहम भूमिका निभाई। इसे लेकर देशभर में जो आयोजन हो रहे हैं, उनसे, किसी न किसी रूप से डेढ़ करोड़ से अधिक लोग जुड़े हैं।
जनभागीदारी की हमारी इस कोशिश में एक ही नहीं, बल्कि दो-दो विश्व रिकॉर्ड भी बन गए हैं| वाराणसी में हुई जी 20 क्विज़ में 800 स्कूलों के सवा लाख स्छात्रोंकी भागीदारी एक नया विश्व रिकॉर्ड बन गया। वहीं, लंबानी कारीगरों ने भी कमाल कर दिया। करीब 450 कारीगरों ने करीब 1800 अनोखा पैचेज का आश्चर्यजनक कलेक्शन बनाकर, अपने हुनर का परिचय दिया है।”
उन्होंने कहा “जी 20 में आए हर प्रतिनिधि हमारे देश की कला की विविधता को देखकर भी बहुत हैरान हुए। ऐसा ही एक शानदार कार्यक्रम सूरत में आयोजित किया गया। वहां हुए ‘साड़ी वालक्थोन ’ में 15 राज्यों की 15,000 महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम से सूरत की कपड़ा उद्योग को तो बढ़ावा मिला ही, ‘वोकल फॉर लोकल’ को भी बल मिला और लोकल के लिए ग्लोबल होने का रास्ता भी बना।”