अब आपको अपने एयर कंडीशनर (AC) का तापमान मनमर्जी से सेट करने की पूरी आज़ादी नहीं मिल सकती। केंद्र सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि ACs का एक फिक्स ऑपरेटिंग टेम्परेचर तय किया जाए – यानी आप बहुत ठंडा या बहुत गर्म तापमान सेट नहीं कर पाएंगे।
इसका मकसद है – बिजली की बचत और ऊर्जा दक्षता बढ़ाना।
सिर्फ 1°C से कितना फर्क पड़ता है?
आप सोच सकते हैं कि 1 डिग्री तापमान घटाने या बढ़ाने से क्या ही फर्क पड़ेगा – लेकिन फर्क बड़ा है!
तापमान कम करने पर 3% से 6% तक ज्यादा बिजली लगती है।
जबकि 1°C बढ़ाने से हर घंटे करीब 50 वॉट तक बिजली की बचत हो सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर आप AC को 24°C की बजाय 25°C पर चलाते हैं, तो आप हर घंटे बिजली बचाते हैं – और यही बचत महीनेभर में अच्छे पैसे में बदल जाती है।
बिजली की बचत = जेब का फायदा
एक 1.5 टन का 5-स्टार इन्वर्टर AC अगर 24°C पर चलता है, तो वह हर घंटे लगभग 1 यूनिट बिजली खपत करता है।
अगर आप रोजाना 8 घंटे AC चलाते हैं और तापमान 25°C कर देते हैं, तो हर महीने करीब ₹100 से ₹150 की बचत हो सकती है।
सालभर में ये ₹1200 से ₹2000 तक पहुंच सकती है – बिना किसी बड़ी मेहनत के!
सिर्फ तापमान नहीं, सही मॉडल भी जरूरी
ऊर्जा की बचत सिर्फ तापमान पर नहीं, बल्कि आपके AC के मॉडल और रेटिंग पर भी निर्भर करती है:
5-स्टार रेटिंग वाले AC कम बिजली खाते हैं।
इन्वर्टर ACs कमरे की जरूरत के मुताबिक अपने आप एडजस्ट होते हैं।
साथ में अच्छा इंसुलेशन, क्लीन फिल्टर्स, और पंखे के साथ इस्तेमाल करने से और भी ज्यादा बिजली की बचत होती है।
सरकार की सोच – छोटे बदलाव, बड़े फायदे
गर्मियों में शहरों में बिजली की भारी मांग होती है – जैसे दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में।
सरकार चाहती है कि छोटे-छोटे बदलावों से राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की बचत हो और पावर ग्रिड का बोझ कम किया जा सके।
AC का डिफॉल्ट तापमान 24°C या 25°C पर सेट करना – यही इस नीति की शुरुआत हो सकती है।
अब आगे क्या?
सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
जल्द ही एक गाइडलाइन आ सकती है, जिसमें AC का डिफॉल्ट तापमान 24°C या 25°C तय किया जाएगा।
मैन्युफैक्चरर्स को कहा जा सकता है कि वे ACs को पहले से सेट तापमान के साथ बनाएं।
हालांकि यूज़र्स को एक सीमित रेंज (जैसे 24-26°C) में तापमान बदलने की आज़ादी मिल सकती है।
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