बच्चों में हाई बीपी क्यों बढ़ रहा है? जानें इसके प्रमुख कारण

हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या आमतौर पर वयस्कों में देखी जाती है, लेकिन हाल के समय में यह समस्या बच्चों में भी तेजी से बढ़ने लगी है। अगर इस समस्या का समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह दिल की बीमारियों, किडनी फेलियर, और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं, वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे 2025 के मौके पर बच्चों में बढ़ते इस खतरे के कारण और बचाव के उपाय।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टर बताते हैं कि हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हाई बीपी के खतरों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक करना है। पहले यह समस्या मुख्य रूप से वयस्कों में होती थी, लेकिन अब यह बच्चों और किशोरों को भी प्रभावित कर रही है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो बच्चों के लिए यह हृदय रोग, किडनी फेलियर और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

बच्चों में हाई बीपी की समस्या क्यों बढ़ रही है?
खानपान में गड़बड़ी
आजकल के बच्चे अधिकतर जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और बाहर का खाना खाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में नमक और शुगर पाया जाता है, जो शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ाता है और यही सोडियम हाई बीपी का कारण बनता है।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी
बच्चे आजकल मोबाइल, वीडियो गेम और टीवी पर ज्यादा समय बिताते हैं। इसके कारण वे पहले की तरह आउटडोर स्पोर्ट्स नहीं खेलते हैं। कम शारीरिक गतिविधि के कारण मोटापा बढ़ता है, जो हाई बीपी का एक प्रमुख कारण है।

तनाव और मानसिक दबाव
पढ़ाई का दबाव, सोशल मीडिया का प्रभाव और नींद की कमी से बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। इससे बच्चों में स्ट्रेस बढ़ता है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।

हाई बीपी का पारिवारिक इतिहास
अगर बच्चों के माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों को हाई बीपी की समस्या है, तो बच्चों में भी यह समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।

अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
बच्चों में मोटापा, टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज, किडनी डिजीज जैसी बीमारियां भी सामान्य हो गई हैं, जो बच्चों में हाई बीपी की संभावना बढ़ाती हैं।

माता-पिता बच्चों का ख्याल कैसे रखें?
संतुलित आहार: बच्चों को ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और कम नमक वाले फैट फूड्स दें। जंक फूड और सोडा ड्रिंक्स से उन्हें दूर रखें।

फिजिकल एक्टिविटी: बच्चों को रोजाना कम से कम 1 घंटे तक बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। साइकिलिंग, रनिंग या आउटडोर गेम्स खेलाने के लिए कहें।

स्क्रीन टाइम कम करें: मोबाइल और टीवी के उपयोग को सीमित करें। बच्चों को किताबें पढ़ने, गार्डनिंग, और अन्य सक्रिय गतिविधियों में शामिल करें।

नियमित जांच: बच्चों का नियमित रूप से बीपी चेक करवाएं, चाहे वे बीमार हों या नहीं।

भावनात्मक समर्थन: बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझें, ताकि वे मानसिक तनाव से बच सकें और उनकी सेहत बेहतर हो।

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