बांग्लादेश की एक अदालत ने Sheikh Hasina के भाषण को दिखाने पर क्यों लगाई है रोक, आइये जानें क्या है पूरा मामला

बांग्लादेश में इन दिनों माहौल काफी शांत है. शेख हसीना – जो प्रधानमंत्री थीं, अब अपने मुल्क से बाहर हैं और भारत में आकर रह रही हैं. नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस सरकार चला रहे हैं. देश में अल्पसंख्यकों खासकर हिन्दू समुदाय पर जारी हमले के बीच एक प्रेस फ्रीडम से जुड़ी चिंता भी खड़ी हो गई है.

बांग्लादेश की एक अदालत ने Sheikh Hasina के हालिया संबोधन पर रोक लगाया है. ये रोक बांग्लादेश की अन्तर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने लगाया है. यही ट्रिब्यूनल Sheikh Hasina पर लगे लगे ‘सामूहिक हत्या’ के मामलों की जांच पड़ताल कर रहा है. ट्रिब्यूनल ने क्यों ये फैसला लिया, किस भाषण को लेकर हो रहा है विवाद. आइये जानें.

किस भाषण को लेकर चल रहा है विवाद?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के द्वारा हुए Sheikh Hasina के संबोधन के बाद आया है. हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के द्वारा संबोधित किया था. Sheikh Hasina ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था.

हसीना के देश छोड़ने और भारत में पनाह लेने से पहले सैकड़ों की तादाद में बांग्लादेशी मारे गए थे. इनमें अधिकतर की जान पुलिस के गोली से गई थी. वहीं, Sheikh Hasina के देश छोड़ने के बाद उनकी पार्टी आवामी लीग के समर्थकों पर ज्यादती और हत्या की भी खबरें आईं थीं.

अब ट्रिब्यूनल का कहना है कि Sheikh Hasina का हालिया भाषण उन पर हो रही कानूनी कार्रवाई, खासकर गवाह और पीड़ित पक्ष को काफी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में, बैन लगाना बहुत आवश्यक है. हालांकि, अब भी यह साफ नहीं है कि किस तरह ये तय होगा कि Sheikh Hasina का कौन सा भाषण ‘हेट स्पीच’ माना जाएगा और कैसे ये आदेश लागू होगा.

दिलचस्प बात तो ये है!

दिलचस्प बात ये है कि जिस ट्रिब्यूनल ने Sheikh Hasina के स्पीच को प्रसारित करने पर रोक लगाई है, उसकी शुरुआत साल 2010 में Sheikh Hasina ने ही की थी. इसका काम 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के आजादी की लड़ाई के दौरान हुई ज्यादती की जांच करना था और देश के खिलाफ लड़ने वालों को सजा देना था.

इस संस्था ने बाद के बरसों में कई दिग्गज विपक्षी राजनेताओं को मौत की सजा सुनाई थी. ट्रिब्यूनल की मानवाधिकार समूह पहले आलोचना करते आए हैं. वे इसको हमेशा ही से बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का एक हथियार कहते रहे हैं, जिसके द्वारा उन्होंने अपने विरोधियों की एक-एक कर छुट्टी की.

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