डायबिटीज के मरीजों में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना एक आम समस्या हो सकती है। जब हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है, तो यह एनीमिया का संकेत हो सकता है, जो शरीर के लिए हानिकारक है। लंबे समय तक अगर डायबिटीज की समस्या बनी रहती है, तो इससे किडनी पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसका प्रभाव मरीजों की सेहत को और भी खराब कर सकता है।
एरिथ्रोपोइटिन हार्मोन, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करता है, डायबिटीज के मरीजों में कम बनने लगता है। इससे अन्य बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
हीमोग्लोबिन कम होने के कारण
पोषण की कमी
डायबिटीज के मरीजों में अक्सर आयरन, विटामिन बी12, और फोलिक एसिड की कमी हो जाती है। इन पोषक तत्वों की कमी से हीमोग्लोबिन का निर्माण कम हो सकता है। अगर मरीज लंबे समय से अन्य दवाएं ले रहे हैं, तो उनके शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो सकती है, जो हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए जरूरी होता है।
ब्लड शुगर का असर
हाई ब्लड शुगर की वजह से शरीर में सूजन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को कम कर सकता है।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय
सही आहार और विटामिन की मात्रा को बढ़ाकर हीमोग्लोबिन का स्तर सुधारा जा सकता है।
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, और चुकंदर खाकर हीमोग्लोबिन बढ़ाया जा सकता है।
फruits जैसे अनार, सेब और गुड़ का सेवन करें, जिससे शरीर में खून का स्तर सुधर सकता है।
विटामिन बी12 की कमी को पूरा करने के लिए दूध, दही, अंडा, मछली, और चिकन का सेवन करें।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर में अच्छे हाइड्रेशन का स्तर बना रहता है और रक्त का प्रवाह बेहतर होता है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
अगर डायबिटीज के साथ-साथ आप थकान, कमजोरी, सांस फूलना, या चक्कर आना महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। नियमित ब्लड टेस्ट करवाएं ताकि आपके हीमोग्लोबिन और ब्लड शुगर के स्तर का पता चल सके और आप उसे नियंत्रित कर सकें।
निष्कर्ष
डायबिटीज और हीमोग्लोबिन की कमी से बचने के लिए सही आहार और नियमित जांच बहुत जरूरी है। आहार में बदलाव और नियमित अभ्यास से आप अपने हीमोग्लोबिन स्तर को सुधार सकते हैं और इससे संबंधित समस्याओं से बच सकते हैं।
यह भी पढ़ें:
मिलर की धमाकेदार वापसी, फोन चोरी होने के बाद भी टीम को दिलाई चौथी जीत