कम उम्र की महिलाओं को क्यों होता है स्ट्रोक का ज्यादा खतरा

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में काम का प्रेशर, तनाव और असंतुलित डाइट लोगों की सेहत पर गंभीर असर डाल रही है। इसका एक खतरनाक परिणाम है — स्ट्रोक। यह बीमारी पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रही है। कई स्टडीज में यह बात सामने आई है कि कम उम्र में महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा पुरुषों से ज़्यादा होता है, जबकि मिडिल एज और उसके बाद पुरुषों में ये जोखिम बढ़ जाता है।

महिलाओं में स्ट्रोक के प्रमुख कारण:

🩸 हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)
महिलाओं में स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण हाई बीपी होता है। 5 में से 1 महिला को स्टेज-2 हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, लेकिन बहुत कम महिलाएं इसे कंट्रोल में रख पाती हैं। यह ब्लड वेसल्स पर दबाव डालकर स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है।

🤰 प्रेगनेंसी (गर्भावस्था)
गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या प्री-एक्लेम्पसिया होने से स्ट्रोक का रिस्क बढ़ता है। इसलिए इस समय विशेष सावधानी बरतनी जरूरी होती है।

🎂 उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता जाता है, खासकर 75 वर्ष के बाद।

💫 माइग्रेन (सिरदर्द की समस्या)
माइग्रेन महिलाओं में अधिक सामान्य होता है और यह इस्केमिक स्ट्रोक से जुड़ा हो सकता है, खासकर जब स्मोकिंग और गर्भनिरोधक गोलियों का भी सेवन किया जा रहा हो।

💊 हार्मोनल दवाएं
बर्थ कंट्रोल पिल्स या मेनोपॉज़ में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। ये दवाएं ब्लड क्लॉट्स और बीपी को प्रभावित कर सकती हैं।

❤️ एट्रियल फिब्रिलेशन (AFib)
यह अनियमित दिल की धड़कन की स्थिति होती है, जो 75 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में स्ट्रोक का जोखिम 20% तक बढ़ा देती है।

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