एंग्जायटी और डिप्रेशन में फर्क क्या है? जानिए मन की इन दो उलझनों को

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सब कुछ हासिल करने की दौड़ में इतना उलझ जाते हैं कि नींद, सुकून, और खुशी पीछे छूट जाती है। कभी परिवार की चिंता, कभी काम का दबाव—धीरे-धीरे ये तनाव इतना बढ़ जाता है कि हमें पता भी नहीं चलता और हम एंग्जायटी या डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

हालांकि दोनों ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, लेकिन इनके लक्षण और असर अलग-अलग होते हैं। सही समय पर इन्हें पहचानना और इलाज लेना बहुत जरूरी है।

😰 क्या है एंग्जायटी?
अगर आपका मन हर वक्त किसी डर या बेचैनी से घिरा रहता है, छोटे-छोटे काम भी भारी लगने लगते हैं और दिल की धड़कन तेज हो जाती है, तो ये एंग्जायटी हो सकती है।

👉 एंग्जायटी के लक्षण:
दिल की धड़कन बढ़ जाना

बार-बार घबराहट और पसीना आना

सांस लेने में तकलीफ

मांसपेशियों में खिंचाव या तनाव

हर वक्त “कुछ गलत होने वाला है” वाली भावना

एंग्जायटी स्ट्रेस (तनाव) का ही अगला रूप है। अगर समय रहते इसे नहीं समझा गया, तो यह आपके व्यवहार, सोच और निर्णयों पर असर डाल सकता है।

😔 क्या है डिप्रेशन?
जब मन बिल्कुल खाली, निराश और दुखी महसूस करे… किसी चीज़ में खुशी न मिले, कोई उम्मीद बाकी न लगे—तो यह डिप्रेशन हो सकता है। यह सिर्फ उदासी नहीं, बल्कि एक गंभीर मानसिक स्थिति होती है।

👉 डिप्रेशन के लक्षण:
हर समय थका-थका और निराश महसूस करना

किसी काम में मन न लगना

खुद को दोषी मानना

नींद न आना या बहुत ज़्यादा सोना

खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के ख्याल आना

🩺 डॉक्टर से सलाह क्यों जरूरी है?
कई बार लोग मानसिक परेशानियों को नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि ये तो योग, मेडिटेशन, या मोटिवेशन से ठीक हो जाएगा, लेकिन जब बात एंग्जायटी और डिप्रेशन की हो, तो यह सोच खतरनाक साबित हो सकती है।

कभी-कभी यह शारीरिक तकलीफों के रूप में भी सामने आता है—जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, या ऐसा लगना जैसे हार्ट अटैक आने वाला है। इसलिए सही इलाज और डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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