Central government ने 25 फरवरी, 2021 को ‘इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी’ रूल्स, 2021 के अंतर्गत कहा था कि जो भी सोशल मीडिया company है उन सभी को IT के नियमों का मानना जरूरी होगा। अगर कभी किसी के द्वारा, किसी मैसेज के लिए शिकायत की जाती है तो सोशल मीडिया की कंपनी को यह बात साफ करनी होगी कि जो भी मैसेज पहली बार कब और कहां से भेजा गया था आपको बता। दें की यह लड़ाई काफी पुरानी है देश भर में इस्तेमाल होने वाला मैसेजिंग एप WhatsApp और indian government के बीच काफी लंबे समय से इस बात को लेकर चर्चा चल रही है। WhatsApp के लिए सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि वार आने वाले मैसेज के सोर्स को आपको बताना होगा उनका मतलब है की मैसेज पहली बार कब और कहां से भेजा गया था इससे जुड़ी जानकारी देनी होगी। लेकिन WhatsApp का कहना है कि इसके लिए हमें एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा और हम ऐसा भाई कर सकते क्योंकि यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ होगा।
WhatsApp की ने अपनी सफाई में कहा है की व्हाट्सएप को एक बड़े पालटेफॉर्म पर आज लोग इसलिए इस्तेमाल करते है क्योंकि क्योंकि यह एन्क्रिप्टेड है और सभी यूजर्स इसकी प्राइवेसी पर भी पूरा भरोसा करते है। सभी यूजर्स को ये साफ पाता है की जो भी मैसेज WhatsApp पर भेजे जाते है वो सभी मैसेज एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं। उनके मैसेज को कोई भी नहीं पढ़ सकता है, उनकी प्राइवेसी का ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है लेकिन अगर एक बार एन्क्रिप्शन तोड़ा गया तो इस के बाद इसकी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। Whtsapp ने भारत सरकार से ये भी कहा कि अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो मजबूरन हमें देश छोड़ना होगा।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक व्हाट्सएप की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में वकील तेजस कारिया ने कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ से कहा कि एक प्लेटफॉर्म के तौर पर हम कह रहे हैं कि अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो हम यहां से चले जाएंगे।व्हाट्सएप अपने मैसेज प्लेटफॉर्म के लिए एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। एन्क्रिप्शन का मतलब यानी आपके मैसेज को कोई भी तीसरा व्यक्ति नहीं पढ़ सकता है।